Sunday 8 December 2013

आयुर्वेदिक औषधियां

आयुर्वेदिक औषधियां –

इमली :

इमली का पेड़ सम्पूर्ण भारतवर्ष में पाया जाता है। इसके अलावा यह अमेरिका, अफ्रीका और कई एशियाई देशों में पाया जाता है। इमली के पेड़ बहुत बड़े होते है। 8 वर्ष के बाद इमली का पेड़ फल देने लगता है। फरवरी और मार्च……………

इन्द्रायन छोटी :

इन्द्रायन छोटी कडुवा,तीखा, उष्णवीर्य, लघु, अग्निवर्द्धक, दस्तावर, बांझपन को दूर करने वाला, विषनाशक, तथा पेट के कीड़े, कफ, घाव, पेट के रोग, गांठे, पित्त, सफेद घाग…. ……. ….

इन्द्रायन कांटेदार :

कांटेदार इन्द्रायण ईरान आदि देशों में पाया जाता है। यह औषधि आमाशय के लिए पौष्टिक और रसायन गुणों से युक्त होती है। इस औषधि का उपयोग उल्टी, दस्त …. ……. ….

इन्द्रायन छोटी :

लाल इन्द्रायन वामक (उल्टी लाने वाला), दस्तावर, सूजननाशक, गले के रोग, सांसरोग, अपचे, खांसी, प्लीहा, कफ पेट के रोग, सफेद दाग, बड़े घाव, और बांझपन को नष्ट…. ……. ….

ईसरमूल :

ईश्वरमूल कडुवा, रसयुक्त होता है। औषधि के रूप मे इसे सांस रोग, खांसी, भूत –प्रेत बाधा उत्तेजक, दस्तावर, उल्टी लाने वाला, रक्तशोधक, सफेद दाग, पीलिया, बवासीर,…. ……. ….

इपिकाक :

इपिकाक बलगम, उल्टी, पाचक, उत्तेजक, पसीना लने वाला, गर्भाशय को संकुचित करने वाला,पित्त तथा दस्तावर होता है। यह मल के साथ बाहर निकलने वाले कीड़…. ……. ….

ईसबगोल (SPOGEL SEEDS) :
ईसबगोल की व्यवसायिक रूप से खेती हमारे देश के उतरी गुजरात के मेहसाना और बनासकाठा जिलों में होती है। वैसे ईसबगोल की खेती उ.प्र पंजाब,हरियाणा प्रदेश मे भी की जाती है। ईसबगोल का पौधा तनारहीत…………….

गन्ना(ईख) :

आहार के 6 रसों मे मधुर रस का विशेष महत्व है। गुड़,चीनी, शर्कर आदि मधुर (मीठी)पदार्थ गन्ने के रस से बनते है। गन्ने का मूल जन्म स्थान भारत है। हमारे देश में यह पंजाब,हरियाणा, उत्तर प्रदेश,बिहार,बंगाल, दक्षिण……………

इलायची :

इलायची हमारे भारत देश तथा इसके आसपास के गर्म देशों में ज्यादा मात्रा में पायी जाती है। इलायची ठंडे देशों में नहीं पायी जाती है। इलायची मालाबार,कोचीन, मंगलौर तथा कर्नाटका में बहुत पैदा होती है। इलायची के पेड़ …………….

इन्द्रायण :

इन्द्रायण एक लता होती है जो पूरे भारत के बलुई क्षेत्रों में पायी जाती है यह खेतों में उगाई जाती है। इन्द्रायण 3 प्रकार की होती है। पहली छोटी इन्द्रायण, दूसरी बड़ी इन्द्रायण और तीसरी लाल इन्द्रायण होती है। तीनों प्रकार………..

ईसबगोल(SPOGEL SEEDS) :

ईसबगोल की व्यवसायिक रूप से खेती हमारे देश के उत्तरी गुजरात के मेहसाना और बनासकाठा जिलों में होती है। वैसे ईसबगोल की खेती उ.प्र, पंजाब, हरियाणा प्रदेशों में भी की जाती है। ईसबगोल का पौधा तनारहित, मौसमी, झाड़ीनुमा होता

फिटकरी :

यह लाल व सफेद दो प्रकार की होती है । दोनों के गुण लगभग समान ही होते है। सफेद फिटकरी का ही अधिक्तर प्रयोग किया जाता है। शरीर की त्वचा, नाक, आंखे, मूत्रांग और मलदार पर इसका स्थानिक……. ….

फल कटेरी :

इसमें डालियां होती हैं जो जमीन पर फैली रहती हैं। इसके फूल नीले तथा बैंगनीं रंग के होते हैं । इसके फल छोटे आंवले जैसे होते हैं जो पकने पर पीले हो जाते है। कटेरी के फल को कटेरी,……. ….

फालसा :

फालसे का विशाल पेड़ होता है। यह बगीचों मे पाया जाता है। इसका फल पीपल के फल के बराबर होता है। यह मीठा होता है। गर्मी के दिनों में इसका शर्बत भी बनाकर……. ….

फनसी (फेंच बीन्स) :

फनसी का रस इंसुलिन नामक हार्मोन का स्राव बढाता है। इसलिए यह मधुमेह (शूगर) में उपयोगी होता है। इसकी फसल शीत ॠतु (सर्दी का मौसम) में होती है और फलियां लम्बी……. ….

फ़िनाइल :

एक बाल्टी पानी में 1 चम्मच फ़िनाइल डालकर स्नान करने से खुजली, सूखी फुंसियां ठीक हो जाती है। सावधानी रखें कि यह पानी सिर पर न डालें। नाक, आंख, कान व मुंह…….

फराशबीन :

फराशबीन एक सब्जी को कहा जाता है यह उन सब्जियों में से एक होती है जिनमें बहुत अधिक कैलोरी पाई जाती है इसके अंदर प्रोटीन कम मात्रा में पाया जाता है। इसके अंदर प्रोटीन कम मात्रा……. ….

फांगला :
 फांगला छोटा, रूक्ष (रूख), गर्म, दीपक (उत्तेजक), रोचक,तीक्ष्ण (तीखा), रक्त संचारक (रक्त संग्राहक), वातकर (वायु को नष्ट करने वाला),………Â

फरहद :
Â
यह तीखा (तिक्त), कटु (खट्टा), उष्णवीर्य (गर्म प्रकृति वाला), रोचक, दीपन (उतेजक), पाचक होता है। मूत्रल (पेशाब की मात्रा अधिक आना), आर्तवजनन (बन्द माहावारी चालू करना), बाजीकरण……. .…

फालसा :

फालसे का विशाल पेड़ होता है। यह बगीचों में पाया जाता है। उत्तर भारत में इसकी उत्पत्ति अधिक होती है……………

No comments:

Post a Comment