Sunday 8 December 2013

आयुर्वेदिक औषधियां

आयुर्वेदिक औषधियां –


गुलाची :

गुलाची का रंग सफेद होता है। गुलाची का फल पेड़ और पुष्प वाटिकाओं में होता है। गुलाची का पेड़ बड़ा होता है। गुलाची का फूल होता है। इसके पत्ते गंदे होते है। गुलाची की जड़ की छाल… …. ……. ….

गाजर :

गाजर प्रकृति की बहुत ही कीमति देन है जो शक्ति का भण्डार है। गाजर फल भी है और सब्जी भी तथा इसकी पैदावार पूरे भारतवर्ष में की जाती है। मूली की तरह गाजर भी जमीन के अंदर पैदा होती है। … …. ……. ….

जंगली गाजर :

जंगली गाजर सामान्य गाजर की तरह ही यह एक जड़ होती है जंगली गाजर धातु को पुष्ट (गाढ़ा) करती है। आमाशय में गर्मी पैदा करती है। हृदय को मुलायम करती है। शरीर में अघिक मात्रा में वीर्य उत्पन्न करता है। … …. ……. ….

गाजर के बीज :

गाजर के बीज लाल और भूरे रंग के होते है। गर्भाशय को शुद्ध करते हैं। सीने के दर्द में यह लाभकारी होता है। इसके बीजों की राख जलोदर (पेट में पानी की अधिकता), पेशाब की बंदी और… …. ……. ….

जंगली गाजर के बीज :

जंगली गाजर के बीज कालापन लिए हुए लाल रंग का होते है।जंगली गाजर के बीज खाने से पेशाब ज्यादा मात्रा में आता है। यह रुके हुए मासिक धर्म को दुबारा चालू करता है। पाचन शक्ति .. …. ……. ….

घुघंची :

दोनों प्रकार की घुघंची बलकारक (ताकत देने वाला), रुचिकारक (इच्छा बढ़ाने वाला) और गृहपीड़ा निवारक होती है। अगर सफेद घुघंची के छिलके उतार कर उसका चुरन बनायें और दूध में डालकर रबड़ी बना लें तो यह रबड़ी धातु को अधिक मात्रा में… …

गुलाब जामुन :

गुलाब जामुन सफेद, हरे, पीले और लाल रंग के होते है। इसके फल अमरुद की तरह होते हैं। गुलाब जामुन मन को प्रसन्न करता है। खून को गाढ़ा करता है और गुणों में यह सेब के जैसा……. ……. ….

गुल मेंहदी :

गुलमेंहदी फुलवाड़ियों में लगाया जाता है। गुलमेंहदी का पेड़ 2 फीट तक ऊंचा होता है। गुलमेंहदी के फूल गोल-गोल लाल तथा काले रंगों के होते हैं। गुलमेंहदी के बीजों को गोश्त के साथ खाने से शरीर बलवान व शक्तिशाली……………..

घीकुंवार :

घीकुंवार रेतीली खारी जमीन पर होती है। घीकुवार के पत्ते लम्बे और मोटे होते हैं। घीकुंवार के किनारों पर दो छोटे-छोटे कांटे होते है। घीकुंवार ऊपर से हरे रंग का तथा अन्दर सफेद से लुबावदार होता है।… …. ……. ….

गंधप्रियंगु, :

प्रियंगुद नाम की एक लता होती है। इसके फूलों को फूल प्रियंगु तथा फूलो के अंदर के भाग को गंधप्रियंगु कहते हैं यह शीतल (ठंड़ी), कड़वी, विषैली, वात, पित्त, रक्तविकार (खूनी की खराबी), पसीना, दाह, तृषा (प्यास), वमन (उल्टी), बुखार, गुल्म (फोड़ा) को दूर करने वाली और … …. ……. ….

गंधक :

गंधक पीले रंग का होता है। गंधक एक खनिज पदार्थ हैं, इसें आग बहुत जल्दी पकड़ लेती है। गंधक खून को साफ करती है। गंधक शरीर में गर्मी लाती है। गंधक खुजली… …. ……. ….

गन्धपलासी :

गंधपलासी कषैली, ग्राही (भारी), हल्की, कडुवी, तीखी, शोथ, खांसी, श्वास, शूल, हिचकी … …. ……. ….

गेहूं :

गेहूं लोगों का मुख्य आहार है तथा सारे खाने वाले पदार्थो में गेहूं का महत्वपूर्ण स्थान है। समस्त अनाजों की अपेक्षा गेहूं में पौष्टिक तत्व अधिक होते हैं। इसकी उपयोगिता के कारण ही गेहूं अनाजो का राजा कहलाता है। अपने देश भारतवर्ष में गेहूं का उत्पादन सबसे ज्यादा… …. ……. ….

गांजा (भांग) :

गांजा का रंग हरा और भूरा होता है। गांजा नशा चढ़ाता है। शरीर के अंग-प्रत्यंग को सुस्त और ढीला कर देता है। यह गर्मी पैदा करता है। और बेहोशी लाने में अफीम से बढ़कर होता है।… …. ……. ….

गन्ने का रस :

गन्ने का रस सफेद रंग का होता है। गन्ने का रस बहुत ही मीठा होता है। इसके साथ पके चावल का सेवन करने से शरीर मोटा और बलवान होता है। यह मन को प्रसन्न… …. ……. ….

जंगली गेहूं :

जंगली गेहूं का दाना स्याह (नीला) रंग का होता है। जगंली गेहूं एक घास होती है जो बिल्कुल गेहूं के समान होती है। यह सूजन और वायु को दूर करता हैं तथा मेदे के कीड़े को मारता है। चाकसू और मिश्री के साथ बनाया हुआ सुरमा……. ……. ….

गेंदा :

गेंदें के फूलों की मालाओं का सर्वाधिक प्रयोग आम जीवन में किया जाता है। गेंदें की खूबसूरती और सुंगध सभी को आकर्षित करती है। उसका पौधा बरसात के मौसम में लगता है और पूरे भारत वर्ष में पाया जाता है। गेंदें के पौधे की उचाई 90 से 120 सेमी तक होती … …. ……. ….

गेरु :

गेरु लाल रंग की एक मिट्टी होती है जो जमीन के अंदर खानों से निकाली जाती है। गेरु का रंग पीला और लाल होता है। गेरु का बीज होता है। यह रक्त विकार (खून से संबंधी रोग), कफ, हिचकी और विष को दूर करता है। यह बच्चों के लिए… …. ……. ….

घी (ब्यूटीरम डेप्यूरम) :

घी तबियत को नर्म करता है। शरीर को स्वस्थ्य बनाता है। तैयारी लाता है। घी आवाज को साफ करता है। कलेजे की खरखराहट को मिटाता है। घी गले की खुश्की को मिटाता है। सूखी खांसी में यह लाभकारी होता … …. ……. .…

गिलोय(Tinspora Kordifoliya) :

नीम पर चढ़ी गिलोय को सबसे उत्तम माना जाता है। गिलोय के पत्ते दिल के आकार के, पान के पत्तों के समान व्यवस्थित तरीके से 2 से 4 इंच व्यास के चिकने होते हैं। गिलोय के फूल छोटे-छोटे गुच्छों में लगते हैं जो गर्मी के मौसम में आते हैं।… …. ……. ….

गिलोय का रस :

गिलोय का रस स्वादिष्ट, हल्का, दीपन और आंखों के लिए लाभकारी होता है। यह वातरक्त (खूनी दोष), त्रिदोष (वात, कफ, और पित्त), पांडुरोग (पीलिया), तीव्र ज्वर, उल्टी, पुराना बुखार, पित्त, कामला, प्रमेह, अरुचि, श्वांस, खांसी, हिचकी, बवासीर, क्षय (टी.बी), दाह,… …. ……. ….

गोभी :

गोभी शरीर को बलवान बनाती है तथा यह पित्त, कफ और रक्तविकारों (खून की खराबी) को दूर करती है। यह प्रमेह (वीर्य विकार) तथा सूजाक के रोग में बहुत लाभकारी होता है। खांसी, फोड़े-फुंसी वालों के लिए लाभकारी होता है।…………. ….

जंगली गोभी :

जंगली गोभी का पेड़ छत्तेदार होता है इसके पत्ते लम्बे-लम्बे होते हैं। फूल सूनहरे रंग के पीले होते है। जंगली गोभी के पत्तों के बीच में एक बाल निकलती है।… …. ……. ….

गोखरु(LAND CALTROPS),(Tribulus Terrestris) :

गोखरु एक सरलता से उपलब्ध होने वाला और जमीन पर फैलने वाला पौधा है, जो हर जगह पाया जाता है। वर्षा के आरंभ में ही यह पौधा जंगलों, खेतों के आसपास आम जगहों पर उग आता है। गोखरु की शाखाएं 2-3 फुट लंबी होती है जिसमें पत्ते चने के समान… …. ……. ….

गोल लौकी :

गोल लौकी की बेल चलती हैं। गोल लौकी का फूल सफेद और पत्ते बड़े-बड़े होते हैं। गोल लौकी की सब्जी भी बनाई जाती है। गोल लौकी हरे और पीले रंग की होती है। गोल लौकी भारी… …. ……. ….

गोल मिर्च :

हल्की, तीक्ष्ण, गर्म, कड़वी, दिल के लिए लाभकारी, रुचिकारक (इच्छा बढ़ाने वाला), वात, बलगम (कफ), मुंह की बदबू को दूर करने वाला तथा आंखों की रोशनी को तेज करने वाला होता है।… …. ……. ….

गोंद :

पेड़ से निकलने वाले गाढ़े पदार्थ को गोंद कहते हैं। गोंद वाले युवा पेड़ों पर अक्सर सर्दी के मौसम में छाल फटकर खुद ही बाहर आ जाती है। इस छाल को सुबह सूरज उगने से पहले … …. ……. ….

गोंद पटेर :

गोंद के पत्ते बहुत लम्बे-लम्बे तथा 4-5 फूट के लगभग ऊंचे होते है। गोंद के पत्ते एक इंच-मोटे और चौड़े होते हैं कि ये बीच से चीरे जा सकते है। इसके ऊपर बाजरे के समान एक बाल होती है। बाल के ऊपर एक पतली सी लकड़ी… …. ……. ….

गोरोचन :

गोरोचन गाय का मस्तक (माथे) में होता है। गोरोचन का रंग पीला होता है। यह बहुत ही उपयोगी वस्तु है। तांत्रिक लोग तंत्र में इसका अधिक मात्रा में उपयोग करते हैं।… …. ……. ….

गुड़ TRACLE :

गुड़ से विभिन्न प्रकार के पकवान बनते हैं। मेहनत करने के बाद गुड़ खाने से थकावट उतर जाती है। परिश्रमी लोगों के लिए गुड़ खाना अधिक लाभकारी है। चूरमा में या लपसी के साथ गुड़ खाने से गुड़ … …. …….

गुड़हल Malvaceae, Hibiscus rosa sinensis, Shoe flower; China Rose :

गुड़हल का पौधा बाग-बगीचों, घर के गमलों, क्यारियों और मंदिर के बगीचों में फूलों की सुंदरता के कारण लगाया जाता है गुड़हल का पौधा आमतौर पर 5 से 9 फुट उचां होता है, जो सदा हरा-भरा रहता है। इसके पत्ते 3 सेमी लम्बे व 2 सेमी चौड़े, चिकने, चमकील… …. ……. ….

गुडूची सत्व :

सत्व निष्कासन विधि द्वारा गुडूचि कांड से औषधि का निर्माण करना चाहिए……. ……. ….

गुग्गुल Bedeliyam :

गुग्गुल का पेड़ 4 से 12 फुट ऊंचा होता है। गुग्गुल की शाखाएं कांटेदार होती है। शाखाओं की टहनियों पर भूरे रंग का पतला छिलका उतरता नजर आता है। गुग्गुल की छाल हरापन लिए हुए पीली, चमकीली और परतदार होती है। गुग्गुल के पत्ते नीम के पत्ते के समान छोटे-छोटे, चमकीले,…

गुलदाउदा :

गुलदाउदा सफेद और पीले रंग का होता है। गुलदाउदा एक खुशबूदार पेड़ का फूल होता है जो लगभग 1 फुट ऊंचा होता है। गुलदाउदा का फूल जमे हुए खून को पचाता है। अगर मेदों में… …. ……. ….

गुलाब का जीरा :

गुलाब का जीरा भूरे रंग का होता है। गुलाब का जीरा गुलाब में से निकलता है। गुलाब का जीरा मुंह से खून के आने को रोकता है। वह दस्त जो किसी तरह बंद न होता हो को बन्द करता है। यह आमाशय और आंखो की रोशनी……………..

गुलकन्द :

गुलकन्द लाल रंग का होता है। गुलकन्द खाने में मीठा और खट्टा होता है। गुलकन्द गुलाब के फल और शक्कर को मिलाकर बनाया जाता है। यह सूर्य के ताप और चन्द्रमा की ठंडक से बनाया…………….

गुलरोगन :

गुलरोगन लाल रंग का होता है। गुलरोगन तिल्ली के तेल और गुलाब के फुल को मिलाकर बनाया जाता है। यह आमाशय को बलवान बनाता है। इसे सिर में लगाने से दिमाग की गर्मी शांत,… …. ……. ….

गुलनार :

गुलनार के पेड़ में फल नही लगते है। गुलनार रक्तरोधक (खून को साफ करने वाला) होता है और पाचनशक्ति (भोजन पचाने कि क्रिया) को बढ़ाता है। 7 ग्राम की मात्रा में गुलनार का सेवन… …. ……. ….

गुंदना पहाड़ी :

गुंदना पहाड़ी हरे रंग की होती है। गुंदना पहाड़ी लहसुन के समान एक सब्जी होती है। पहाड़ी गुंदना कफ (बलगम) को गलाकर शरीर से बाहर निकाल देती है। यह पसीना लाता है। पहाड़ी गुंदना के सेवन से स्त्रियों के… …. ……. ….

ग्वारपाठा, घृतकुमारी :

इसका पौधा अक्सर खेतों की बाड़ में, नदी किनारे अपने आप ही उग जाता है। ग्वार पाठ के पौधे की ऊचाई 60 से 90 सेमी तक होती है। ग्वार पाठ के पत्तों की लम्बाई एक से डेढ़ फुट तथा चौड़ाई एक से तीन इंच तक,… …. ……. ….

गूलर KLASTER FIG KANTRI FIG, FAIKAS GLOMERETA :

गूलर का वृक्ष, 20 से 40 फुट ऊंचा होता है। गूलर का तना, मोटा, लम्बा, तथा टेढ़ा होता है। गूलर की छाल लाल व मटमैली रंग की होते है। गूलर के पत्ते 3 से 5 इंच लम्बे, डेढ़ से 3 इंच चौड़े, नुकीले, चिकने और चमकीले होते हैं। गूलर के फूल गुप्त रुप से…. ……. ….

गुलाब (ROSE),(ROSA CENTIFOLIA) :

गुलाब का पौधा ऊंचाई में 4-6 फुट का होता है। तने मे असमान कांटे लगे होते है। गुलाब की पत्तियां 5 मिली हुई होती है। गुलाब का फल अंडाकार होता है। गुलाब के पेड़ फुलवाड़ियों में लगाये जाते है। इसकी डालों में कांटे लगे होते हैं, यह 2 तरह का……. ….

गुंजा BEED TREE :

गुंजा के फूल सेम की तरह होते हैं। शिम्बी का आकार बहुत छोटा होता है, परन्तु प्रत्येक में 4-5 गुंजा बीज निकलते हैं अर्थात सफेद में सफेद तथा रक्त में लाल बीज निकलते हैं। अशुद्ध फल का सेवन करने से विसूचिका की भांति ही उल्टी और दस्त……. ….

ग्लिसरीन :

मुंह के छालों में ग्लिसरीन लगाने से लाभ मिलता है। जले हुए अंगों पर ग्लिसरीन लगाने से दर्द और जलन कम हो जाती है थकावट होने पर पैरों में ग्लिसरीन की मालिश करने से लाभ होता है। रुई की एक लम्बी सी बत्ती बनाकर ग्लिसरीन……. ….

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