Thursday 5 December 2013

गठिया

गठिया या संधिबात की सबसे अच्छी दवा है मेथी, हल्दी और सुखा हुआ अदरक माने सोंठ , इन तीनो को बराबर मात्रा में पीस कर, इनका पाउडर बनाके एक चम्मच लेना गरम पानी के साथ सुबह खाली पेट तो इससे घुटनों का दर्द ठीक होता है, कमर का दर्द ठीक होता है, देढ दो महिना लग सकता है ।
और एक अच्छी दवा है , एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हारसिंगार कहते है, संस्कृत पे पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , उस पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फ़ूल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुशबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है । इस पेड़ के पांच पत्ते तोड़ के पत्थर में पीस कर चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करे कि पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके पियो तो बीस बीस साल पुराना गठिया का दर्द इससे ठीक हो जाता है । और इसी पत्ते को पीस कर गरम पानी में डाल के पियो तो बुखार ठीक कर देता है और जो बुखार किसी दवा से ठीक नही होता वो इससे ठीक होता है ; जैसे चिकनगुनिया का बुखार, डेंगू फीवर, Encephalitis , ब्रेन मलेरिया, ये सभी ठीक होते है ।

बुखार की और एक अछि दवा है अपने घर में तुलसी पत्ता ; दस पन्द्रह तुलसी पत्ते तोड़ो, तीन चार काली मिर्च ले लो पत्थर में पीस के एक ग्लास गरम पानी में मिलाके पी लो .. इससे भी बुखार ठीक होता है ।

बुखार की एक और दवा है नीम की गिलोय, अमृता भी कहते है, उडूनची भी कहते है, इसको थोडा सा चाकू से काट लो , पत्थर में कुचल के पानी में उबाल लो फिर वो पानी पी लेना तो ख़राब से ख़राब बुखार ठीक हो जाता है तीन दिन में । कभी कभी बुखार जब बहुत ज्यादा हो जाते है तब खून में श्वेत रक्त कनिकाएं , प्लेटलेट्स बहुत कम हो जाते है तब उसमे सबसे ज्यादा काम आती है ये गिलोय

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