Sunday, 7 July 2013

षड्बिन्दु तेल

षड्बिन्दु तेल

इसके घटक तत्वों को इस श्लोक द्वारा जान सकते है .

एरण्डमूलं तगरं शताह्वा जीवन्ती रास्ना सहसैन्धवञ्च ।

भृङ्गं विडङ्गं मधुयष्टिका च विश्वौषधं कृष्णतिलस्य तैलम् ।

आजं पयस्तैलविमिश्रितं च चक्षुर्बाह्वोबलं चाप्यधिकं ददाति ॥

इसमें मुख्यतः तिल का तेल , बकरी का दूध ,भृंगराज होता है . इसके अलावा इसमें एरंड , तगर की जड़ ,शताह्वा , जीवन्ति , रासना ,सैंधा नमक , दालचीनी , विडंग , यष्टि मधु और अदरक आदि की पावडर भी होती है .इन सब औषधियों को तिल तेल में पकाकर षड्बिन्दु तेल तैयार होता है .

इसका नस्य लेने से आँखों की ज्योति तेज होती है अर्थात चश्मे का नंबर कम होता है . दांतों के लिए अच्छा है . छींके आना , सर्दी , नाक बंद होना ,साइनस ,पॉलिप्स , बाल झडना , सफ़ेद होना , सिरदर्द आदि समस्याओं में भी लाभकारी .

बारिश के बाद जब मौसम नम से अचानक सूखा हो जाता है तो नाक में रूखापन होने से कई समास्याएं होती है ; जैसे छींके आना , एलर्जी , ज़ुकाम , आँखों में खुजली , पानी आना , सिरदर्द आदि उसके लिए इसका नस्य लेना उत्तम उपाय है .

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