आलू के असरकारी नुस्खे- रक्तपित्त बीमारी में कच्चा आलू बहुत फायदा करता है।
- कभी-कभी चोट लगने पर नील पड़ जाती है। नील पड़ी जगह पर कच्चा आलू पीसकर लगाएं।
- शरीर पर कहीं जल गया हो, तेज धूप से त्वचा झुलस गई हो, त्वचा पर झुर्रियां हों या कोई त्वचा रोग हो तो कच्चे आलू का रस निकालकर लगाने से फायदा होता है।
- भुना हुआ आलू पुरानी कब्ज और अंतड़ियों की सड़ांध दूर करता है।
- आलू में पोटेशियम साल्ट होता है जो अम्लपित्त को रोकता है।
- चार आलू सेंक लें और फिर उनका छिलका उतार कर नमक, मिर्च डालकर नित्य खाएं। इससे गठिया ठीक हो जाता है।
- गुर्दे की पथरी में केवल आलू खाते रहने पर बहुत लाभ होता है। पथरी के रोगी को केवल आलू खिलाकर और बार-बार अधिक पानी पिलाते रहने से गुर्दे की पथरियां और रेत आसानी से निकल जाती हैं।
- उच्च रक्तचाप के रोगी भी आलू खाएं तो रक्तचाप को सामान्य बनाने में लाभ करता है।
- आलू को पीसकर त्वचा पर मलें। रंग गोरा हो जाएगा।
- आलू का रस दूध पीते बच्चों और बड़े बच्चों को पिलाने से वे मोटे-ताजे हो जाते हैं। आलू के रस में शहद मिलाकर भी पिला सकते हैं।
मुँहासों से कैसे पाएँ छुटकाराकुछ घरेलू उपचारों के द्वारा हम अपने चेहरे पर उभरे दाग-धब्बे, काले तिल व मुँहासों आदि से आसानी से छुटकारा पा सकते हैं –
* ताजे हरे धनिए की पत्तियों को पीसकर उस लेप को चेहरे पर लगाने से चेहरे पर उभरे काले तिलों से हमेशा के लिए निजात पाई जा सकती है।
* तुलसी की सूखी पत्तियाँ पानी के साथ पीसकर उसे चेहरे पर नियमित मलने से चेहरे के काले दाग धीरे-धीरे गायब होने लगते हैं।
* जायफल को पानी में घीसकर मलना भी बहुत फायदेमंद होता है।
* खड़ी मसूर को कागजी नींबू के रस में पीसकर दोनों गालों पर मलना बहुत लाभकारी होता है।
* चेहरे की रौनक बढ़ाने के लिए पानी में चंदन व हल्दी पावडर मिलाकर उसे चेहरे पर मलें।
* अमलतास की छाल, अनार की छाल, लोधी, आमा हल्दी और नागरमोथा की बराबर मात्रा पीसकर जल के साथ उसका गाढ़ा पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से जल्द ही मुँहासों से निजात पाई जा सकती है।
आयुर्वेद घरेलु नुस्खे – हरी इलायची ,लौंग छिलके सहित इलायची को आग में जलाकर राख कर लें। इस राख को शहद में मिलाकर चाटने से उल्टी होना बंद होती है।
हरी इलायची 10 ग्राम, सौंफ 20 ग्राम, मिश्री 40 ग्राम तीनों को (इलायची छिलके सहित) महीन पीसकर मिला लें। प्रातः एक चम्मच चूर्ण दूध के साथ पीने से नेत्र ज्योति बढ़ती है व हृदय को बल मिलता है।
छिलके सहित छोटी इलायची, सौंठ, कालीमिर्च और दालचीनी समभाग लेकर पीस लें और महीन चूर्ण बना लें। चाय बनाते समय खौलते पानी में यह चूर्ण एक चुटकी भर डालकर चाय बनाइए। बड़ी स्वादिष्ट चाय बनेगी।
लौंग के तेल की एक-दो बूँद रुई के फाहे पर टपकाकर जिस दाँत में दर्द हो, वहाँ रखकर दबाएँ, दाँत का दर्द दूर हो जाएगा।
लौंग के तेल की एक-दो बूँद रुई के फाहे पर टपकाकर जिस दाँत में दर्द हो, वहाँ रखकर दबाएँ, दाँत का दर्द दूर हो जाएगा।
नारियल के तेल में लौंग के तेल की 8-10 बूँदें टपकाकर यह तेल सर में लगाकर मालिश करने से सिरदर्द ठीक हो जाता है।
लौंग, छोटी हरड़ और सेंधा नमक तीनों 10-10 ग्राम लेकर पीस लें। भोजन करने के बाद यह चूर्ण एक चम्मच, पानी के साथ फाँकने से उदर रोग ठीक होते हैं।
लौंग, सौंफ, छोटी इलायची, जरा-सा खोपरा समभाग लेकर कूट-पीस लें। इसे मुँह में रखने से मुख शुद्ध और दाँत मजबूत होते हैं।
काजू निखारे सौंदर्य काजू तैलीय, शुष्क आदि हर प्रकार की त्वचा के लिए लाभप्रद होता है। यदि आपकी त्वचा तैलीय प्रकृति की है तो आप काजू को रातभर दूध में भिगोकर सुबह उसे महीन पीसकर उसमें मुल्तानी मिट्टी, नींबू या दही की थोड़ी मात्रा मिलाकर उसे चेहरे पर लगाएँ।
शुष्क त्वचा वाले बारीक पिसे हुए काजू में मुल्तानी मिट्टी व शहद मिलाकर अपनी त्वचा पर लगाएँ। इससे आपकी त्वचा में एक कुदरती चमक आती है।
याददाश्त बढ़ाने के आसान उपाय प्रतिदिन अखरोट का सेवन करें।
शहद को हर रोज किसी न किसी रूप में लेने से याददाश्त अच्छी रहती है।
पीपल के पेड़ के 5 पके फल हर दिन खाने से भी स्मरण शक्ति बढ़ती है।
पका कद्दू हफ्ते में एक बार खाना याददाश्त बढ़ाने का अचूक उपाय है।
खाना खाने से पूर्व एक मीठा सेब बिना छिले खाने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।
चुकंदर का रस दिन में दो बार एक कप लेने से स्मृति बढ़ती है।
गेंहू के जवारे का रस रोज पीने से सभी मानसिक रोगों में फायदा मिलता है और याददाश्त तेज होती है।
गुणकारी बादाम के घरेलू नुस्खे यह बौद्धिक ऊर्जा बढ़ाने वाला, दीर्घायु बनाने वाला है।
मीठे बादाम तेल के सेवन से माँसपेशियों में दर्द जैसी तकलीफ से तत्काल आराम मिलता है।
बादाम तेल का प्रयोग रंगत में निखार लाता है और बेजान त्वचा को रौनक प्रदान करता है।
त्वचा की खोई नमी लौटाने में भी बादाम तेल सर्वोत्तम माना गया है।
शुद्ध बादाम तेल तनाव को दूर करता है। दृष्टि पैनी करता है और स्नायु के दर्द में भी राहत दिलाता है। विटामिन डी से भरपूर बादाम तेल बच्चों की हड्डियों के विकास में भी योगदान करता है।
बादाम तेल से रूसी दूर होती है और बालों की साज-सँभाल में भी यह कारगर है। इसमें मौजूद विटामिन तथा खनिज पदार्थ बालों को चमकदार और सेहतमंद बनाते हैं।
बादाम तेल का इस्तेमाल बाहर से किया जाए या फिर इसका सेवन किया जाए, यह हर लिहाज से उपचारी और उपयोगी साबित होता है।
हर रोज रात को 250 मिग्रा गुनगुने दूध में 5-10 मिली बादाम तेल मिलाकर सेवन करना लाभदायक होता है।
त्वचा को नरम, मुलायम बनाने के लिए भी आप इसे लगा सकते हैं। नहाने से 2-3 घंटे पहले इसे लगाना आदर्श रहता है। बादाम तेल की मालिश न सिर्फ बालों के लिए अच्छी होती है, बल्कि मस्तिष्क के विकास में भी फायदेमंद होती है।
हफ्ते में एक बार बादाम तेल की मालिश गुणकारी है।
दालचीनी और शहद का दमदार नुस्खासामान्यत: दालचीनी मसालों के रूप में काम मे ली जाती है। लेकिन यह पेट रोग, इंफ्यूएंजा, टाइफाइड, टीबी और कैंसर जैसे रोगों में उपयोगी पाई गई है। दालचीनी का तेल बनता है। दालचीनी,साबुन, दांतों के मंजन, पेस्ट, चाकलेट, सुगंध व उत्तेजक के रूप में काम में आती है। चाय, काफी में दालचीनी डालकर पीने से स्वादिष्ट हो जाती है तथा जुकाम भी ठीक हो जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं दालचीनी के कुछ घरेलु प्रयोग जो बहुत उपयोगी हैं।
- दालचीनी का तेल दर्द, घावों और सूजन को नष्ट करता है।
- दालचीनी को तिल के तेल, पानी, शहद में मिलाकर उपयोग करना चाहिए। दर्द वाले स्थान पर मालिश करने के बाद इसे रातभर रहने देते है। मालिश अगर दिन में करें तो 2-3 घंटे के बाद धोएं।
- दालचीनी त्वचा को निखारती है तथा खुजली के रोग को दूर करती है।
- दालचीनी सेहत के लिए लाभकारी है। यह पाचक रसों के स्त्राव को भी उत्तेजित करती है। दांतों की समस्याओं को दूर करने में भी यह उपयोगी है।
- रात को सोते समय नियमित रूप से एक चुटकी दालचीनी पाउडर शहद के साथ मिलाकर लेने से मानसिक तनाव में राहत मिलती है और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
- दालचीनी का नियमित प्रयोग मौसमी बीमारियों को दूर रखता है।
- ठंडी हवा से होने वाले सिरदर्द से राहत पाने के लिए दालचीनी के पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं।
- दालचीनी पाउडर में नीबू का रस मिलाकर लगाने से मुंहासे व ब्लैकहैड्स दूर होते हैं।
- दालचीनी, डायरिया व जी मिचलाने में भी औषधी के रूप में काम में लाई जाती है।
- मुंह से बदबू आने पर दालचीनी का छोटा टुकड़ा चूसें। यह एक अच्छी माउथ फ्रेशनर भी है।
- दालचीनी में एंटीएजिंग तत्त्व उपस्थित होते हैं। एक नीबू के रस में दो बड़े चम्मच जैतून का तेल, एक कप चीनी, आधा कप दूध, दो चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर पांच मिनट के लिए शरीर पर लगाएं। इसके बाद नहा लें, त्वचा खिल उठेगी।
- दालचीनी पाउडर की तीन ग्राम मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ लेने पर दस्त बंद हो जाते हैं
- आर्थराइटिस का दर्द दूर भगाने में शहद और दालचीनी का मिश्रण बड़ा कारगर है।
-गंजेपन या बालों के गिरने की समस्या बेहद आम है। इससे छुटकारा पाने के लिए गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। इसे सिर में लगाए और पंद्रह मिनट बाद धो लें।
- एक चम्मच दालचीनी पाउडर और पांच चम्मच शहद मिलाकर बनाए गए पेस्ट को दांत के दर्द वाली जगह पर लगाने से फौरन राहत मिलती है।
- सर्दी जुकाम हो तो एक चम्मच शहद में एक चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर दिन में तीन बार खाएं। पुराने कफ और सर्दी में भी राहत मिलेगी।
- पेट का दर्द-शहद के साथ दालचीनी पाउडर लेने पर पेट के दर्द से राहत मिलती है।
- खाली पेट रोजाना सुबह एक कप गरम पानी में शहद और दालचीनी पाउडर मिलाकर पीने से फैट कम होता है। इससे मोटे से मोटा व्यक्ति भी दुबला हो जाता है।
ऐसे खाएं त्रिफला तो कभी चश्मा नहीं चढ़ेगा और बाल भी सफेद नहीं होंगेकमजोरी के कारण शरीर बीमारियों का शिकार हो जाता है। लेकिन यदि हम थोड़ी सी सावधानी बरतकर और आयुर्वेद को अपनाए तो अपने स्वास्थ्य की सही तरह से देखभाल कर ही पाएंगे। साथ ही शरीर का कायाकल्प भी करने में आसानी होगी। त्रिफला ऐसी ही आयुर्वेदिक औषधी है जो शरीर का कायाकल्प कर सकती है। त्रिफला के सेवन से बहुत फायदे हैं। स्वस्थ रहने के लिए त्रिफला चूर्ण महत्वपूर्ण है। त्रिफला सिर्फ कब्ज दूर करने ही नहीं बल्कि कमजोर शरीर को एनर्जी देने में भी प्रयोग हो सकता है।
विधि- सूखा देसी आंवला, बड़ी हर्रे व बहेड़ा लेकर गुठली निकाल दें। तीनों समभाग मिलाकर महीन पीस लें। कपड़छान कर कांच की शीशी में भरकर रखें।
- त्रिफला के नियमित सेवन से कमजोरी दूर होती है।
- त्रिफला के नियमित सेवन से लंबे समय तक रोगों से दूर रहा जा सकता है।
- त्रिफला और इसका चूर्ण तीनों दोषों यानी वात,पित्त व कफ को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- बालों के खराब होने और समय से पूर्व सफेद होने से भी त्रिफला के सेवन से बचा जा सकता है।
- गाय व शहद के मिश्रण में (घी अधिक व शहद कम) के साथ त्रिफला चूर्ण का सेवन आंखों के लिए वरदानस्वरूप है। संयम के साथ इसका नियमित प्रयोग करने से आंखों के सारे रोग दूर हो जाते हैं। बुढ़ापे तक चश्मा नहीं लगेगा।
-त्रिफला के काढ़े से घाव धोने से एलोपैथिक एंटिसेप्टिक की आवश्यकता नहीं रहती। घाव जल्दी भर जाता है।
- त्रिफला के गुनगुने काढ़े में शहद मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है।
- रात को गुनगुने पानी के साथ त्रिफला लेने से कब्जियत नहीं रहती।
- सुबह के समय तरोताजा होकर खाली पेट ताजे पानी के साथ त्रिफला का सेवन करें और इसके बाद एक घंटे तक पानी के अलावा कुछ ना लें।
- मौसम को ध्यान में रखकर त्रिफला के साथ गुड़, सैंधा नमक, देशी खांड, सौंठ का चूर्ण, पीपल छोटी का चूर्ण, शहद इत्यादि मिलाकर सेवन कर सकते हैं।
वजन घटाना चाहते हैं? ग्रीन कॉफी पीजिएक्या आप भी अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं? अगर हां, तो यह खबर आपके काम की है। एक नई ग्रीन कॉफी बनाने वालों रिसर्चरों ने दावा किया है कि इसको ब्रेकफास्ट से पहले पीने पर डाइट चार्ट में बिना कोई बदलाव किए ही एक महीने में 2 किलोग्राम तक वजन कम किया जा सकता है।
रिसर्चरों का दावा है कि रोज हरी कॉफी पीने से अतिरिक्त चर्बी से छुटकारा पाया जा सकता है। रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया है कि हरी कॉफी का क्लोरोजेनिक एसिड आहार नली में शुगर के अवशोषण को घटाता है और फैट के खत्म होने की प्रक्रिया को तेज करता है। वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में पाया कि जिन्होंने रोज़ एक कप हरी कॉफी पी, उनका दो सप्ताह में वजन करीब डेढ़ किलो और एक महीने में दो किलो कम हो गया।
ब्रिटिश अखबार डेली मेल ने वैज्ञिनक लॉरेंट फ्रेसनेल के हवाले से कहा, 'कॉफी हरी चाय के समान है। इसके कच्चे और बिना भुने स्वरूप में मौजूद तत्व पाचन बढ़ाते हैं और वजन कम करने में मदद करते हैं। दुर्भाग्य से यह तत्व भूनने के दौरान नष्ट हो जाते हैं इसलिए नियमित तौर पर पी जाने वाली कॉफी में नहीं मिलते।' शोध के परिणाम जरनल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में छपे हैं।
एसीडिटी से परेशान लोगों के लिए...आयुर्वेदिक नुस्खाजो लोग एसीडिटी से परेशान होते हैं उन्हें एसीडिटी के कारण पेट में कई बार असहनीय जलन होती है। अगर आपके साथ भी ऐसी ही समस्या है तो जरूर आजमाएं ये आयुर्वेदिक उपाय। पेट की जलन तुरंत दूर हो जाएगी।
आयुर्वेदिक उपाय- पुष्कर की जड़, एरण्ड की जड़, जौ और धमासा- चारों को मोटा-मोटा कूट कर बोतल में भर लें। एक गिलास पानी में दो चम्मच चूर्ण डाल कर उबालें। जब पानी आधा कप बचे तब उतार कर , आधा सुबह व आधा शाम को पी लिया करें। पेट की जलन दूर हो जाएगी। यह प्रयोग आठ दिनों तक करके बंद कर दें।
क्या ध्यान रखें-इस प्रयोग के साथ गरिष्ट भोजन से बचें।सुबह एक कप कच्चा दूध और एक कप पानी मिलाकर इसमें एक छोटी चम्मच मिश्री या चीनी डालकर फेंट लगाएं और खाली पेट चाय व दूध की जगह पीएं। भोजन के अंत में आगरे का पेठा या केला खाएं। सुबह-शाम आंवलें का मुरब्बा चबा चबाकर खाएं।
कार्य क्षमता बढ़ाने व कोलॅस्ट्रोल घटाने का अचूक आयुर्वेदिक नुस्खा
अपनी कार्य क्षमता बढ़ा कर सफल होने, स्फूर्ति वान होने व चर्बी घटा कर तन्दरूस्त होने का यह आजमाया हुआ नुस्खा है। अनेक लोगों ने इसका प्रयोग कर सफलता पाई है। नुस्खा निम्न प्रकार है:
मिश्रण: 50 ग्राम मेथी$ 20 ग्राम अजवाइन$10 ग्राम काली जीरीबनाने की विधिः- मेथी, अजवाइन तथा काली जीरी को इस मात्रा में खरीद कर साफ कर लें। तत्पश्चात् प्रत्येक वस्तु को धीमी आंच में तवे के उपर हल्का सेकें। सेकने के बाद प्रत्येक को मिक्सर-ग्राइंडर मंे पीसकर पाउडर बनालें। तीनों के पाउडर को मिला कर पारदर्शक डिब्बे में भर लेवें। आपकी अमूल्य दवाई तैयार है।
दवाई लेने की विधिः- तैयार दवाई को रात्रि को खाना खाने के बाद सोते समय 1 चम्मच गर्म पानी के साथ लेवें। याद रखें इसे गर्म पानी के साथ ही लेना है। इस दवाई को रोज लेने से शरीर के किसी भी कोने मंे अनावश्यक चर्बी/ गंदा मैल मल मुत्र के साथ शरीर से बाहर निकल जाता है, तथा शरीर सुन्दर स्वरूपमान बन जाता है। मरीज को दवाई 30 दिन से 90 दिन तक लेनी होगी।
लाभः- इस दवाई को लेने से न केवल शरीर मंे अनावश्यक चर्बी दूर हो जाती है बल्किः-
शरीर में रक्त का परिसंचरण तीव्र होता है। ह्नदय रोग से बचाव होता है तथा कोलेस्ट्रोल घटता है।
पुरानी कब्जी से होेने वाले रोग दूर होते है। पाचन शक्ति बढ़ती है।
गठिया वादी हमेशा के लिए समाप्त होती है।
दांत मजबूत बनते है। हडिंया मजबूत होगी।
आॅख का तेज बढ़ता है कानों से सम्बन्धित रोग व बहरापन दूर होता है।
शरीर में अनावश्यक कफ नहीं बनता है।
कार्य क्षमता बढ़ती है, शरीर स्फूर्तिवान बनता है। घोड़े के समान तीव्र चाल बनती है।
चर्म रोग दूर होते है, शरीर की त्वचा की सलवटें दूर होती है, टमाटर जैसी लालिमा लिये शरीर क्रांति-ओज मय बनता है।
स्मरण शक्ति बढ़ती है तथा कदम आयु भी बढ़ती है, यौवन चिरकाल तक बना रहता है।
पहले ली गई एलोपेथिक दवाईयां के साइड इफेक्ट को कम करती है।
इस दवा को लेने से शुगर (डायबिटिज) नियंत्रित रहती है।
बालों की वृद्धि तेजी से होती है।
शरीर सुडौल, रोग मुक्त बनता है।
परहेजः- 1. इस दवाई को लेने के बाद रात्रि मंे कोई दूसरी खाद्य-सामग्री नहीं खाएं।
2. यदि कोई व्यक्ति धुम्रपान करता है, तम्बाकू-गुटखा खाता या मांसाहार करता है तो उसे यह चीजे छोड़ने पर ही दवा फायदा पहुचाएंगी।
3. शाम का भोजन करने के कम-से-कम दो घण्टे बाद दवाई लें।
पेट व कमर कैसे कम करेंगलत ढंग से आहार-विहार यानी खान-पान, रहन-सहन से जब शरीर पर चर्बी चढ़ती है तो पेट बाहर निकल आता है, कमर मोटी हो जाती है और कूल्हे भारी हो जाते हैं। इसी अनुपात से हाथ-पैर और गर्दन पर भी मोटापा आने लगता है। जबड़ों के नीचे गरदन मोटी होना और तोंद बढ़ना मोटापे के मोटे लक्षण हैं।
मोटापे से जहाँ शरीर भद्दा और बेडौल दिखाई देता है, वहीं स्वास्थ्य से सम्बंधित कुछ व्याधियाँ पैदा हो जाती हैं, लिहाजा मोटापा किसी भी सूरत में अच्छा नहीं होता। बहुत कम स्त्रियाँ मोटापे का शिकार होने से बच पाती हैं।
हर समय कुछ न कुछ खाने की शौकीन, मिठाइयाँ, तले पदार्थों का अधिक सेवन करने वाली और शारीरिक परिश्रम न करने वाली स्त्रियों के शरीर पर मोटापा आ जाता है।प्रायः प्रसूति के बाद की असावधानी और गलत आहार-विहार करने से स्त्रियों का पेट बढ़ जाया करता है।
प्रसव के बाद 40 दिन तक पेट बाँधकर रखने से पेट बड़ा नहीं हो पाता। पेट बाँधने के बेल्ट बाजार में मिलते हैं। पहली कोशिश तो यही करना चाहिए कि पेट बढ़ने ही न पाए, क्योंकि एक बार पेट बढ़ जाने पर कम करना कठिन और समय साध्य कार्य हो जाता है। इसके लिए दो-तीन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।* प्रायः महिलाएँ भोजन करके खूब पानी पिया करती हैं।
भोजन के अन्त में पानी पीना उचित नहीं, बल्कि एक-डेढ़ घण्टे बाद ही पानी पीना चाहिए। इससे पेट और कमर पर मोटापा नहीं चढ़ता, बल्कि मोटापा हो भी तो कम हो जाता है।
* आहार भूख से थोडा कम ही लेना चाहिए। इससे पाचन भी ठीक होता है और पेट बड़ा नहीं होता। पेट में गैस नहीं बने इसका खयाल रखना चाहिए। गैस के तनाव से तनकर पेट बड़ा होने लगता है। दोनो समय शौच के लिए अवश्य जाना चाहिए।
* भोजन में शाक-सब्जी, कच्चा सलाद और कच्ची हरी शाक-सब्जी की मात्रा अधिक और चपाती, चावल व आलू की मात्रा कम रखना चाहिए।
* सप्ताह में एक दिन उपवास या एक बार भोजन करने के नियम का पालन करना चाहिए। उपवास के दिन सिर्फ फल और दूध का ही सेवन करना चाहिए।
* पेट व कमर का आकार कम करने के लिए सुबह उठने के बाद या रात को सोने से पहले नाभि के ऊपर के उदर भाग को 'बफारे की भाप' से सेंक करना चाहिए। इस हेतु एक तपेली पानी में एक मुट्ठी अजवायन और एक चम्मच नमक डालकर उबलने रख दें। जब भाप उठने लगे, तब इस पर जाली या आटा छानने की छन्नी रख दें। दो छोटे नैपकिन या कपड़े ठण्डे पानी में गीले कर निचोड़ लें और तह करके एक-एक कर जाली पर रख गरम करें और पेट पर रखकर सेंकें। प्रतिदिन 10 मिनट सेंक करना पर्याप्त है। कुछ दिनो में पेट का आकार घटने लगेगा।
* सुबह उठकर शौच से निवृत्त होने के बाद निम्नलिखित आसनों का अभ्यास करें या प्रातः 2-3 किलोमीटर तक घूमने के लिए जाया करें। दोनों में से जो उपाय करने की सुविधा हो सो करें।
* भुजंगासन, शलभासन, उत्तानपादासन, सर्वागासऩ, हलासन, सूर्य नमस्कार। इनमें शुरू के पाँच आसनों में 2-2 मिनट और सूर्य नमस्कार पाँच बार करें तो पाँच मिनट यानी कुल 15 मिनट लगेंगे। इन आसनों की विधि वेबदुनिया के योग चैनल से प्राप्त की जा सकती है।
* भोजन में गेहूँ के आटे की चपाती लेना बन्द करके जौ-चने के आटे की चपाती लेना शुरू कर दें। इसका अनुपात है 10 किलो चना व 2 किलो जौ। इन्हें मिलाकर पिसवा लें और इसी आटे की चपाती खाएँ। इससे सिर्फ पेट और कमर ही नहीं सारे शरीर का मोटापा कम हो जाएगा।
* प्रातः एक गिलास ठण्डे पानी में 2 चम्मच शहद घोलकर पीने से भी कुछ दिनों में मोटापा कम होने लगता है।
दुबले होने के लिए दूध और शुद्ध घी का सेवन करना बन्द न करें। वरना शरीर में कमजोरी, रूखापन, वातविकार, जोड़ों में दर्द, गैस ट्रबल आदि होने की शिकायतें पैदा होने लगेंगी।ऊपर बताए गए उपाय करते हुए घी-दूध खाते रहिए, मोटापा नहीं बढ़ेगा। इस प्रकार उपाय करके पेट और कमर का मोटापा निश्चित रूप से घटाया जा सकता है। ये सब उपाय सफल सिद्ध हुए हैं।