Wednesday, 18 June 2014

आर्थराइटिस

आर्थराइटिस:-

आर्थराइटिस और सभी तरह के joint pain का इलाज !
१. दोनों तरह के आर्थराइटिस (Osteoarthritis और Rheumatoid arthritis) मे आप एक दावा का प्रयोग करे जिसका नाम है चुना, वोही चुना जो आप पान मे खाते हो | गेहूं के दाने के बराबर चुना रोज सुबह खाली पेट एक कप दही मे मिलाके खाना चाहिए, नही तो दाल मे मिलाके, नही तो पानी मे मिलाके पीना लगातार तिन महीने तक, तो आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा | अगर आपके हात या पैर के हड्डी मे खट खट आवाज आती हो तो वो भी चुने से ठीक हो जायेगा |

२. दोनों तरह के आर्थराइटिस के लिए और एक अछि दावा है मेथी का दाना | एक छोटा चम्मच मेथी का दाना एक काच की गिलास मे गरम पानी लेके उसमे डालना, फिर उसको रात भर भिगोके रखना | सबेरे उठके पानी सिप सिप करके पीना और मेथी का दाना चबाके खाना | तिन महीने तक लेने से आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा |

३. ऐसे आर्थराइटिस के मरीज जो पूरी तरह बिस्तर पकड़ जुके है, चाल्लिस साल से तकलीफ है या तिस साल से तकलीफ है, कोई कहेगा बीस साल से तकलीफ है, और ऐसी हालत हो सकती है के वे दो कदम भी न चल सके, हात भी नही हिला सकते है, लेटे रहते है बेड पे, करवट भी नही बदल सकते ऐसी अवस्था हो गयी है .... ऐसे रोगियों के लिए एक बहुत अछि औषधि है जो इसीके लिए काम आती है | एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हरसिंगार कहते है, संस्कृत पे पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , उस पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फुल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुसबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है । इस पेड़ के छह सात पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस के चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके रोज सुबह खाली पेट पिलाना है जिसको भी बीस तिस चाल्लिस साल पुराना आर्थराइटिस हो या जोड़ो का दर्द हो | यह उन सबके लिए अमृत की तरह काम करेगा | इसको तिन महिना लगातार देना है अगर पूरी तरह ठीक नही हुआ तो फिर 10-15 दिन का गैप देके फिर से तिन महीने देना है | अधिकतम केसेस मे जादा से जादा एक से देड महीने मे रोगी ठीक हो जाते है | इसको हर रोज नया बनाके पीना है | ये औषधि Exclusive है और बहुत strong औषधि है इसलिए अकेली हि देना चाहिये, इसके साथ कोई भी दूसरी दावा न दे नही तो तकलीफ होगी | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा |

बुखार का दर्द का उपचार :

डेंगू जैसे बुखार मे शरीर मे बहुत दर्द होता है .. बुखार चला जाता है पर कई बार दर्द नही जाता | ऐसे केसेस मे आप हरसिंगार की पत्ते की काड़ा इस्तेमाल करे, 10-15 दिन मे ठीक हो जायेगा |

घुटने मत बदलिए :
RA Factor जिनका प्रोब्लेमाटिक है और डॉक्टर कहता है के इसके ठीक होने का कोई चांस नही है | कई बार कार्टिलेज पूरी तरह से ख़तम हो जाती है और डॉक्टर कहते है के अब कोई चांस नही है Knee Joints आपको replace करने हि पड़ेंगे, Hip joints आपको replace करने हि पड़ेंगे | तो जिनके घुटने निकाल के नया लगाने की नौबत आ गयी हो, Hip joints निकालके नया लगाना पड़ रहा हो उन सबके लिए यह औषधि है जिसका नाम है हरसिंगार का काड़ा |

 आप कभी भी Knee Joints को और Hip joints को replace मत कराइए | चाहे कितना भी अच्छा डॉक्टर आये और कितना भी बड़ा गारंटी दे पर कभी भी मत करिये | भगवान की जो बनाई हुई है आपको कोई भी दोबारा बनाके नही दे सकता | आपके पास जो है उसिको repair करके काम चलाइए | हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री अटलजी ने यह प्रयास किया था, Knee Joints का replace हुआ अमेरिका के एक बहुत बड़े डॉक्टर ने किया पर आज उनकी तकलीफ पहले से जादा है | पहले तो थोडा बहुत चल लेते थे अब चलना बिलकुल बंध हो गया है कुर्सी पे ले जाना पड़ता है | आप सोचिये जब प्रधानमंत्री के साथ यह हो सकता है आप तो आम आदमी है |

मासिक धर्म (Periods)

मित्रो माताओ-बहनो को मासिक धर्म (Periods) से सबन्धित समस्याएँ होना साधारण बात है अक्सर माहवारी की अनियमिता हो जाती है ,अर्थात कई बार रक्तस्त्राव बहुत अधिक हो जाता है और कई बार क्या होता है बिलकुल ही नहीं होता ! और कभी कभी ऐसा भी होता है की ये 2-3 दिन होना चाहिए लेकिन 1 ही दिन होता है ,और कई बार 15 दिन ही दुबारा आ जाता है ! और कई बार 2 महीने तक नहीं आता !
तो ये मित्रो मासिक धर्म चक्र की अनियमिता की जितनी सभी समस्याएँ है इसकी हमारे आयुर्वेद मे बहुत ही अच्छी और लाभकारी ओषधि है वो है अशोक के पेड़ के पत्तों की चटनी !
हाँ एक बात याद रखे आशोक का पेड़ दो तरह का है एक तो सीधा है बिलकुल लंबा ज़्यादातर लोग उसे ही अशोक समझते है जबकि वो नहीं है एक और होता है पूरा गोल होता है और फैला हुआ होता है वही असली अशोक का पेड़ है जिसकी छाया मे माता सीता ठहरी थी !

तो इस असली अशोक के 5-6 पत्ते तोड़िए उसे पीस कर चटनी बनाओ अब इसे एक से डेढ़ गिलास पानी मे कुछ देर तक उबाले ! इतना उबाले की पानी आधा से पौन गिलास रह जाए ! फिर उसे बिलकुल ठंडा होने के लिए छोड़ दीजिये और फिर उसको बिना छाने हुए पीये ! सबसे अच्छा है सुबह खाली पेट पीना ! कितने दिन तक पीना ?? 30 दिन तक लगातार पीना उससे मासिक धर्म (periods ) से सबन्धित सभी तरह की बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं ! ये सबसे अधिक अकेली बहुत ही लाभकारी दवा है ! जिसका नुकसान कोई नहीं है ! और अगर कुछ माताओ-बहनो को 30 दिन लेने से थोड़ा आराम ही मिलता है ज्यादा नहीं मिलता तो वो और अगले 30 दिन तक ले सकती है वैसे लगभग मात्र 30 दिन लेने से ही समस्या ठीक हो जाती है !

तो मित्रो ये तो हुई महवारी मे अनियमिता की बात ! अब बात करते पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द की. बहुत बार माताओ -बहनो को ऐसे समय मे बहुत अधिक शरीर मे अलग अलग जगह दर्द होता है कई बार कमड़,दर्द होना ,सिर दर्द होना ,पेट दर्द पीठ मे दर्द होना जंघों मे दर्द होना ,स्तनो मे दर्द,चक्कर आना ,नींद ना आना बेचैनी होना आदि तो ऐसे मे तेज pain killer लेने से बचे क्योंकि इनके बहुत अधिक side effects है , एक बीमारी ठीक करेंगे 10 साथ हो जाएगी और बहुत से pain killer तो विदेशो मे 20 वर्षो से ban है जो भारत मे बिकती है !

तो आयुर्वेद मे भी इस तरह के दर्दों की तात्कालिक (instant relief ) दवाये है जिसका कोई side effect नहीं है ! तो पीरियडस के दौरान होने वाले दर्दों की सबसे अच्छी दवा है गाय का घी ,अर्थात देशी गाय का घी ! एक चम्मच देशी गाय का घी को एक गिलास गर्म पानी मे डालकर पीना ! पहले एक गिलास पानी खूब गर्म करना जैसे चाय के लिए गर्म करते है बिलकुल उबलता हुआ ! फिर उसमे एक चम्मच देशी गाय का घी डालना ,फिर ना मात्र सा ठंडा होने पर पीना ,चाय की तरह से बिलकुल घूट घूट करके पीना ! बिलकुल सिप सिप करके पीना है ! तात्कालिक (instant relief ) एक दम आराम आपको मिलेगा और ये लगातार 4 -5 दिन जितने दिन पीरियड्स रहते है पीना है उससे ज्यादा दिन नहीं पीना ! ये पीरियडस के दौरन होने वाले सब तरह के दर्दों के लिए instant relief देता है सामान्य रूप से होने वाले दर्दों के लिए अलग दवा है !

एक बात जरूर याद रखे घी देशी गाय का ही होना चाहिए , विदेशी जर्सी,होलेस्टियन ,फिरिजियन भैंस का नहीं !! देशी गाय की पहचान है की उसकी पीठ गोल सा ,मोटा सा हम्प होता है !कोशिश करे घर के आस पास पता करे देशी गाय का ! उसका दूध लाकर खुद घी बना लीजिये ! बाजारो मे बिक रहे कंपनियो के घी पर भरोसा ना करें ! या भारत की सबसे बड़ी गौशाला जिसका नाम पथमेड़ा गौशाला है जो राजस्थान मे है यहाँ 2 लाख से ज्यादा देशी गाय है इनका घी खरीद लीजिये ये पूरा देशी गाय के दूध से ही बना है ! काफी बड़े शहरो मे उपलब्ध है !

और अंत जब तक आपको जीवन मे आपको मासिक धर्म रहता है आप नियमित रूप से चुने का सेवन करें ,चुना कैसा ?? गीला चुना , जो पान वाले के पास से मिलता है कितना लेना है ?? गेहूं के दाने जितना ! कैसे लेना है ??बढ़िया है की सुबह सुबह खाली पेट लेकर काम खत्म करे आधे से आधा गिलास पानी हल्का गर्म करे गेहूं के दाने के बराबर चुना डाले चम्मच से हिलाये पी जाए ! इसके अतिरिक्त दही मे ,जूस मे से सकते है बस एक बात का ध्यान रखे कभी आपको पथरी की समस्या रही वो चुना का सेवन ना करे !! ये चुना बहुत ही अच्छा है बहुत ही ज्यादा लाभकरी है मासिक धर्म मे होने वाली सब तरह की समस्याओ के लिए !!
इसके अतिरिक्त आप जंक फूड खाने से बचे , नियमित सैर करे ,योग करे !

Tuesday, 10 June 2014

सौंफ

सौंफ 
सौंफ 


सौंफ प्रतिदिन घर में प्रयुक्त किए जाने वाले मसालों में से एक है। इसका नियमित उपयोग सेहत के लिए लाभदायक है। प्रायः गर्मियों की सब्ज़ियों में इसका उपयोग किया जाता है क्योंकि इसकी तासीर ठंडी है |

* सौंफ और मिश्री समान भाग लेकर पीस लें। इसकी एक चम्मच मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक लें। इससे आँखों की कमजोरी दूर होती है त
था नेत्र ज्योति में वृद्धि होती है।

* सौंफ का अर्क दस ग्राम शहद मिलाकर लें। खाँसी में तत्काल आराम मिलेगा।

* बेल का गूदा 10 ग्राम और 5 ग्राम सौंफ सुबह-शाम चबाकर खाने से अजीर्ण मिटता है और अतिसार में लाभ होता है।

* यदि आपको पेटदर्द होता है, तो भुनी हुई सौंफ चबाइए, तुरंत आराम मिलेगा। सौंफ की ठंडाई बनाकर पीजिए, इससे गर्मी शांत होगी और जी मिचलाना बंद हो जाएगा।

* हाथ-पाँव में जलन की शिकायत होने पर सौंफ के साथ बराबर मात्रा में धनिया कूट-छानकर मिश्री मिलाकर खाना खाने के पश्चात 5-6 ग्राम मात्रा में लेने से कुछ ही दिनों में आराम हो जाता है।

* सौंफ रक्त को साफ करने वाली एवं चर्मरोग नाशक है।

*मोटी सौंफ को भोजन के बाद प्रतिदिन चबाने से एसिडिटी की समस्या से भी छुटकारा मिल जाता है |

आलूबुखारा

आलूबुखारा -
आलूबुखारा 

यह मूलतः यूरोप तथा पश्चिमी एशिया में प्राप्त होता है | भारत में विशेषतः पश्चिमी शीतोष्ण हिमालय के जम्मू एवं कश्मीर,हिमाचल प्रदेश,उत्तराखंड तथा दक्षिण भारत में नीलगिरि के पहाड़ी क्षेत्रों में १५००-२१०० मीटर की ऊंचाई पर उत्त्पन्न होता है | इसके फल गोलाकार तथा चमकदार होते हैं | इसके कच्चे फल खट्टे तथा पके फल खट्टे-मीठे होते हैं,फलों के भीतर पीला गूदा तथा एक बड़ा बीज होता है | इसके वृक्ष से एक प्रकार का पीले रंग का गोंद निकलता है,जो बबूल के गोंद के सामान दिखाई देता है | इसका पुष्पकाल तथा फलकाल फ़रवरी से जुलाई तक होता है |
इसके फल में प्रोटीन,कार्बोहायड्रेट,वसा,कैल्शियम,मैग्नीशियम,लौह,पोटैशियम , विटामिन C तथा आर्गेनिक अम्ल भी पाया जाता है | बीज में तेल,प्रोटीन,कार्बोहायड्रेट,खनिज एवं एमीग्लैडीन पाया जाता है | आलूबुखारे के औषधीय उपयोग -

१- नकसीर
आलूबुखारे के पत्तों का रस निकालकर १-२ बूँद नाक में डालने से नकसीर में लाभ होता है |

२- पित्तविकार-
भोजन से पूर्व आलूबुखारे के मीठे फल का सेवन करने से यह पित्त विकारों का शमन करता है |

३- उदरकृमि
आलूबुखारे के पत्तों को पीसकर पेट पर लेप करने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं |

४- तृष्णा -
आलूबुखारे का सेवन करने से प्यास व अरुचि का शमन होता है |

५-अजीर्ण -
इसके बीजों को बादाम की तरह शुष्क फल (dry fruits ) के रूप में खाने से अजीर्ण में लाभ होता है |

६- स्मृतिवर्धनार्थ-
आलूबुखारे के बीज की गिरी का सेवन करने से धीरे-धीरे स्मरणशक्ति बढ़ती है |

टिंडा

टिंडा (डिण्डिश )-
टिंडा



समस्त भारत में पंजाब,उत्तर प्रदेश ,राजस्थान एवं महाराष्ट्र में सब्जी के रूप में इसकी खेती की जाती है | आयुर्वेदीय प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख प्राप्त नहीं होता | इसके फलों में प्रोटीन,वासा,खनिज द्रव्य तथा कार्बोहायड्रेट पाया जाता है | आईये जानते हैं टिंडे के कुछ औषधीय गुणों के बारे में -

१- टिंडे के डण्ठल की सब्जी बनाकर खाने से कब्ज में लाभ होता है |

२- टिंडे की सब्जी बनाकर सेवन करने से मूत्रदाह तथा मूत्राशय शोथ का शमन होता है |

३- टिंडे का रस निकालकर मिश्री मिलाकर पीने से प्रदर तथा प्रमेह में लाभ होता है |

४- टिंडे को पीसकर लगाने से आमवात में लाभ होता है |

५- टिंडे के बीज तथा पत्तों को पीसकर सूजन पर लगाने से सूजन मिटती है |

६- पके हुए टिंडे के बीजों को निकालकर मेवे के रूप में सेवन करने से यह पौष्टिक तथा बलकारक होता है |

शहतूत

 शहतूत-
शहतूत


यह मूलतः चीन में पाया जाता है | यह साधारणतया जापान ,नेपाल,पाकिस्तान,बलूचिस्तान ,अफगानिस्तान ,श्रीलंका,वियतनाम तथा सिंधु के उत्तरी भागों में पाया जाता है | भारत में यह पंजाब,कश्मीर,उत्तराखंड,उत्तर प्रदेश एवं उत्तरी पश्चिमी हिमालय में पाया जाता है | इसकी दो प्रजातियां पायी जाती हैं | १- तूत (शहतूत) २-तूतड़ी |
इसके फल लगभग २.५ सेंटीमीटर लम्बे,अंडाकार अथवा लगभग गोलाकार ,श्वेत अथवा पक्वावस्था में लगभग हरिताभ-कृष्ण अथवा गहरे बैंगनी वर्ण के होते हैं | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल जनवरी से जून तक होता है | इसके फल में प्रोटीन,वसा,कार्बोहायड्रेट,खनिज,कैल्शियम,फॉस्फोरस,कैरोटीन ,विटामिन A ,B एवं C,पेक्टिन,सिट्रिक अम्ल एवं मैलिक अम्ल पाया जाता है |आज हम आपको शहतूत के औषधीय गुणों से अवगत कराएंगे -

१- शहतूत के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारे करने से गले के दर्द में आराम होता है ।

२- यदि मुँह में छाले हों तो शहतूत के पत्ते चबाने से लाभ होता है |

३- शहतूत के फलों का सेवन करने से गले की सूजन ठीक होती है |

४- पांच - दस मिली शहतूत फल स्वरस का सेवन करने से जलन,अजीर्ण,कब्ज,कृमि तथा अतिसार में अत्यंत लाभ होता है |

५- एक ग्राम शहतूत छाल के चूर्ण में शहद मिलाकर चटाने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं |

६- शहतूत के बीजों को पीस कर लगाने से पैरों की बिवाईयों में लाभ होता है |

७- शहतूत के पत्तों को पीसकर लेप करने से त्वचा की बीमारियों में लाभ होता है|
८- सूखे हुए शहतूत के फलों को पीसकर आटे में मिलाकर उसकी रोटी बनाकर खाने से शरीर पुष्ट होता है 

हींग

हींग (ASAFOETIDA )-
हींग का उपयोग आमतौर पर दाल-सब्जी में छौंक लगाने के लिए किया जाता है इसलिए इसे 'बघारनी 'के नाम से भी जाना जाता है । यह भारत के उत्तर पश्चिमी राज्यों से कश्मीर एवं पंजाब में पायी जाती है | हींग आहार में रूचि उत्पन्न करके अग्नि को प्रदीप्त करती है |
हींग फेरूला फोइटिस नामक पौधे का चिकना रस है | इसके पौधे के पत्तों और छाल में हलकी चोट देने से दूध निकलता है और वही दूध पेड़ पर सूख कर गोंद बनता है,उसे निकालकर सुखा लिया जाता है,जिसे बाद में हींग के नाम से जाना जाता है |
हींग एक गुणकारी औषधि है | यह हलकी,गर्म और पाचक है | आईये जानते हैं हींग के औषधीय गुणों के विषय में -

१- हींग को पानी में पीसकर पेट पर (नाभी के आसपास) लेप करने से उलटी बंद हो जाती है और पेट दर्द में भी आराम मिलता है |

२- हिंगाष्टक चूर्ण ६ ग्राम को पानी के साथ खाने से हर प्रकार की वायु की बीमारियां मिट जाती हैं |

३- शुद्ध हींग को चम्मच भर पानी में गर्म करके रुई भिगोकर दर्द वाले दांत के नीचे रखें | ऐसा करने से दांत के दर्द में आराम मिलता है |

४- कालीखांसी में बच्चों के सीने पर हींग का लेप करने से लाभ मिलता है |

५- यदि पेट में गैस बन रही हो तो हींग,काला नमक और भुनी हुई अजवायन को पीस कर चूर्ण बना लें | इसे दिन में दो बार गुनगुने पानी से लें ,गैस में लाभ होगा |

६- हींग को तिल के तेल में पकाकर उस तेल की बूँदें कान में डालने से तेज कान का दर्द दूर होता है |

७- अचार की सुरक्षा के लिए बर्तन में पहले हींग का धुंआ दें | उसके बाद उसमे अचार भरें | इस प्रयोग से अचार खराब नहीं होता है |

Friday, 25 April 2014

संधिवात

संधिवात 
संधिवात में शरीर के किसी संधि जोड में शोध की उत्पत्ति होती है। धीरे-धीरे शोथ विकसित होता है और तीव्र शूल होने लगता है। शोथ के कारण त्वचा लाल हो जाती है। संधि शोथ को स्पर्श करने में भी पीड़ा होती है। रात को अधिक पीड़ा होने से रोगी की नींद नष्ट हो जाती हैं।

संधि शोथ और शूल के कारण रोगी चलने-फिरने में असमर्थ हो जाता है। उठकर खड़े होने में भी तीव्र शूल होता है। संधिवात के कारण रोगी को ज्वर भी हो जाता है। संधिवात के उग्र रूप धारण करने पर रोगी की भूख नष्ट हो जाती है।

क्या खाएं?

* लहसुन की एक-दो कली प्रतिदिन हल्के गर्म जल के साथ सेवन करें।
* गर्म जल व दूध में मधु मिलाकर पीने से बहुत लाभ होता है।
* लहसुन की कलियों को सरसों के तेल में देर तक उबालकर जलाएं, फिर उस तेल को छानकर संधि शोथ के अंगों पर मालिश करें।
* मेथी का चूर्ण बनाकर प्रतिदिन 3 ग्राम चूर्ण हल्के गर्म जल के साथ सेवन करने से संधिवात का शूल कम होता है।
* संधिवात का रोगी कोष्ठबद्धता होने पर एरंड का तेल 7-8 ग्राम की मात्रा में उबाले हुए दूध में डालकर पिएं।
* अदरक के 5 ग्राम रस में मधु मिलाकर सेवन करने से संधि शूल नष्ट होता है।
* महा नारायण तेल की संधि शोथ पर मालिश करें।
* चुकंदर का सेवन करने से संधि शूल नष्ट होता है।
* प्याज के रस को सरसों के तेल में मिलाकर हल्का-सा गर्म करके संधि शोथ पर मलने से बहुत लाभ होता है।
* आलू की सब्जी खाने से शूल कम होता है।
* कुलथी को जल में उबालकर क्वाथ बनाएं। क्वाथ को छानकर उसमें सोंठ का चूर्ण और सेंधा नमक मिलाकर पिएं।
* अजवायन का 3 ग्राम चूर्ण थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर हल्के गर्म जल के साथ सेवन करें।

क्या न खाएं?

* संधिवात के रोगी शीतल खाद्य और शीतल पेयों का सेवन न करें।
* सब्जियों में गाजर, मूली, टमाटर, अरबी, कचालू, फूलगोभी, भिंडी न खाएं।
* दही और तक्र (मट्ठे) का सेवन न करें।
* चावल व उड़द की दाल का सेवन न करें।
* घी, तेल, मक्खन से बने पकवान न खाएं।
* मांस, मछली व अंडे के साथ-साथ उष्ण मिर्च-मसालों से बनी तली हुई चीजों का सेवन ना करें।
* नंगे पाव फर्श पर न घूमें।
* भीगे वस्त्रों में देर तक न रहें।

प्रतिदिन पूज्य स्वामी जी महाराज द्वारा सिखाये जाने वाले सातों प्राणायामों का अभ्यास मंद गति से करें ,लाभ होगा |

कटहल

अगर आप कटहल को सिर्फ स्वाद में मांसाहार का शाकाहारी विकल्प मानकर खाते हैं तो इसके पोषक तत्वों के बारे में जानने के बाद इसका स्वाद आपको और बेहतर लगेगा।
100 ग्राम कटहल में 303 मिलीग्राम पोटैशियम, 24 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए,सी और थाइमिन, 0.108 ग्राम विटामिन बी6, 37 ग्राम मैग्नीशियम, 94 कैलोरी, 14 एमसीजी फोलेट जैसे कई पोषक तत्व होते हैं।
पोटैशियम की अधिकता की वजह से यहलो ब्लड प्रेशर में बहुत फायदेमंद है। इसके अलावा, यह डायरिया और दमा के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है। विटामिन सी की वजह से यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है और पेट में अल्सर की आशंका कम करता है। कटहल के फल केअलावा इसके बीज भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं।

अरबी

अरबी की सब्जी न सिर्फ सामान्य डाइट में बल्कि फलाहार के रूप में भी प्रचलित है लेकिन इसके बादी स्वभाव के कारण हम इसके पोषक तत्वों पर ध्यान नहीं देते। 100 ग्राम अरबी में 42 ग्राम कैलोरी है जो आलू से भी अधिक है। इसके अलावा इसमें 3.7 ग्राम फाइबर, पांच ग्राम प्रोटीन, 648 मिलीग्राम पोटैशियम, विटामिन ए, सी, कैल्शियम और आयरन जैसे कई जरूरी पोषक तत्व हैं।
अधिक फाइबर की वजह से इसका पाचन आसान है। एंटीऑक्सीडेंट्स की अधिकता की वजह से यह त्वचा के लिए फायदेमंद है।

अरबी

अरबी की सब्जी न सिर्फ सामान्य डाइट में बल्कि फलाहार के रूप में भी प्रचलित है लेकिन इसके बादी स्वभाव के कारण हम इसके पोषक तत्वों पर ध्यान नहीं देते। 100 ग्राम अरबी में 42 ग्राम कैलोरी है जो आलू से भी अधिक है। इसके अलावा इसमें 3.7 ग्राम फाइबर, पांच ग्राम प्रोटीन, 648 मिलीग्राम पोटैशियम, विटामिन ए, सी, कैल्शियम और आयरन जैसे कई जरूरी पोषक तत्व हैं।
अधिक फाइबर की वजह से इसका पाचन आसान है। एंटीऑक्सीडेंट्स की अधिकता की वजह से यह त्वचा के लिए फायदेमंद है।

गर्मियों के पेय पदार्थ

गर्मियों में खाएं कम, पीएं ज्यादा ,पेय पदार्थों का करें नियमित सेवन

पेय पदार्थों की गर्मियों में एक अलग ही भूमिका होती है, फिर भले ही वह पेय पदार्थ पानी हो या जूस । इनके नियमित सेवन से हमारी त्वचा में निखार आने के साथ ही शरीर को भी भरपूर ऊर्जा मिलती है। फ्रूट जूस जहां आयरन और विटामिन से भरपूर होते हैं, वहीं वेजीटेबल जूस शरीर के लिए उपयोगी पोषक तत्वों से युक्त होते हैं। इन दोनों ही तरह के जूस का सेवन शरीर के लिए फायदेमंद होता है। यदि आप बेहतर स्वास्थ्य पाने की इच्छा रखते हैं तो आपको गर्मियों के अलावा हर मौसम में जूस और पानी की उचित मात्रा को शामिल करना होगा।

पानी 

कम मात्रा में पानी पीने से हमारे शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिसका प्रभाव शरीर के साथ ही त्वचा पर भी देखा जा सकता है। त्वचा की चमक को बरकरार रखने के लिए आपको हर दिन भरपूर मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए। पानी हमारी त्वचा की कोशिकाओं का भी प्रमुख तत्व होता है। जिस तरह से हम त्वचा की बाहरी नमी को बरकरार रखने के लिए उस पर मॉइश्चराइजर लगाते हैं उसी प्रकार से त्वचा को अंदरुनी नमी व पोषण प्रदान करने के लिए हमें पानी का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।

जूस 

100 % फल या सब्जियों से बनाए गए जूस हमारे शरीर में विटामिन की पूर्ति करने के साथ ही त्वचा को भी पोषण प्रदान करते हैं। स्वाद में लाजवाब होने के साथ ही जूस त्वचा की गहराई से सफाई कर विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है। एक रिसर्च के अनुसार गहरे रंग के फलों के जूस शरीर के लिए अधिक गुणकारी होते हैं। अनार और ब्लू बेरी के जूस में हमारे शरीर व त्वचा के लाभकारी एंटी ऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा होती है। चुकंदर का रस भी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

ऐलोवेरा जूस 

त्वचा के लालपन व खुजली को खत्म करने के साथ ही ऐलोवेरा का जूस त्वचा संबंधी अन्य समस्याओं जैसे कि एक्जिमा, सोरियोसिस में भी औषधि की तरह कार्य करता है। रक्त की शुद्धि, पाचन क्रिया को बढ़ाना, आर्थराइटिस में कारगर व शारीरिक क्षमता को बढाने के साथ ही ऐलोवेरा जूस के अनगिनत फायदे हैं। रोजाना एक कप ऐलोवेरा जूस का सेवन हमारे स्वास्थ्य व त्वचा संबंधी कई समस्याओं के निदान में कारगर है।

ग्रीन टी 

ग्रीन टी को बगैर उबली हरी पत्तियों से बनाया जाता है। यही वजह है कि ग्रीन टी में उच्च स्तर पर पॉलीफिनोल्स होते हैं, जो एक ऐसा केमिकल कंपाउंड है जिसके पिगमेंट एंटी एजिंग के तौर पर कार्य करके त्वचा से झुर्रियों को कम कर उसे फोटो प्रोटेक्शन देते हैं। ग्रीन टी की विशेषता उसके एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लामेट्री गुण भी होते हैं। बालों के लिए भी ग्रीन टी बेहतर है। यदि हम शुद्धता की बात करें तो चाय में शुद्धता के मामले में ग्रीन टी से बेहतर कोई नहीं है।

ब्लैक टी 

ब्लैक टी भी ग्रीन टी के समान पत्तियों से ही बनाई जाती है। विटामिन ई और सी के साथ ही ब्लैक टी में मौजूद स्ट्रांग एंटीऑक्सीडेंट त्वचा पर प्रीमैच्योर एजिंग के लक्षणों को कम करता है। ब्लैक टी ऐसे एस्ट्रीजेंट के तौर पर कार्य करती है जिससे चेहरा बेदाग व चमकदार बनता है। ब्लैक टी के बेहतर परिणामों के लिए इसे दूध के बगैर पिएं, क्योंकि दूध इसके एंटी ऑक्सीडेंट गुण को घटाता है।

इनका सेवन ना करें 

कॉफी : कॉफी में कैफीन व शुगर की अधिक मात्रा होने के कारण यह त्वचा पर कील-मुंहासों का कारण बनती है। कॉफी में मौजूद टैनिन त्वचा को शुष्क बनाती है।

एल्कोहल : एल्कोहल त्वचा की नमी को सोख त्वचा में ढीलापन लाता है। बहुत से कॉकटेल, डाइग्यूरस और मार्गरिटा में शुगर की बहुत अधिक मात्रा होती है, जो त्वचा को नुकसान पहुंचाती है।

सोडा : सोडा में मौजूद शुगर व अन्य सामग्री हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होती है। सोडे की अधिक मात्रा शरीर में पानी के स्तर को कम कर देती है। शरीर व बेहतर स्वास्थ्य के लिए जहां तक संभव हो, हमें सोडा पीने से तौबा करनी चाहिए।

उच्च रक्त चाप

उच्च रक्त चाप के लक्षण व उपचार 
रक्त चाप बढने से तेज सिर दर्द,थकावट,टांगों में दर्द ,उल्टी होने की शिकायत और चिडचिडापन होने के लक्छण मालूम पडते हैं। यह रोग जीवन शैली और खान-पान की आदतों से जुडा होने के कारण केवल दवाओं से इस रोग को समूल नष्ट करना संभव नहीं है। जीवन चर्या एवं खान-पान में अपेक्षित बदलाव कर इस रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर के मुख्य कारण--
१) मोटापा
२) तनाव(टेंशन)
३) महिलाओं में हार्मोन परिवर्तन
४) ज्यादा नमक उपयोग करना
अब यहां ऐसे सरल घरेलू उपचारों की चर्चा की जायेगी जिनके सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने से बिना गोली केप्सुल लिये इस भयंकर बीमारी पर पूर्णत: नियंत्रण पाया जा सकता है-
१) सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रोगी को नमक का प्रयोग बिल्कुल कम कर देना चाहिये। नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला प्रमुख कारक है।
२) उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण है रक्त का गाढा होना। रक्त गाढा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है।लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार घरेलू वस्तु है।यह रक्त का थक्का नहीं जमने देती है। धमनी की कठोरता में लाभदायक है। रक्त में ज्यादा कोलेस्ट्ररोल होने की स्थिति का समाधान करती है।
३)एक बडा चम्मच आंवला का रस और इतना ही शहद मिलाकर सुबह -शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।
४) जब ब्लड प्रेशर बढा हुआ हो तो आधा गिलास मामूली गरम पानी में काली मिर्च पावडर एक चम्मच घोलकर २-२ घंटे के फ़ासले से पीते रहें। ब्लड प्रेशर सही मुकाम पर लाने का बढिया उपचार है।
५) तरबूज का मगज और पोस्त दाना दोनों बराबर मात्रा में लेकर पीसकर मिला लें। एक चम्मच सुबह-शाम खाली पेट पानी से लें।३-४ हफ़्ते तक या जरूरत मुताबिक लेते रहें।
६) बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा निंबू निचोडकर २-२ घंटे के अंतर से पीते रहें। हितकारी उपचार है।
७) तुलसी की १० पती और नीम की ३ पत्ती पानी के साथ खाली पेट ७ दिवस तक लें।
८) पपीता आधा किलो रोज सुबह खाली पेट खावें। बाद में २ घंटे तक कुछ न खावें। एक माह तक प्रयोग से बहुत लाभ होगा।
९) नंगे पैर हरी घास पर १५-२० मिनिट चलें। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है।
१०) सौंफ़,जीरा,शकर तीनों बराबर मात्रा में लेकर पावडर बनालें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पीते रहें।
११) उबले हुए आलू खाना रक्त चाप घटाने का श्रेष्ठ उपाय है।आलू में सोडियम(नमक) नही होता है।
पालक और गाजर का रस मिलाकर एक गिलास रस सुबह-शाम पीयें। अन्य सब्जीयों के रस भी लाभदायक होते हैं।
१३) नमक दिन भर में ३ ग्राम से ज्यादा न लें।
१४) अण्डा और मांस ब्लड प्रेशर बढाने वाली चीजें हैं। ब्लड प्रेशर रोगी के लिये वर्जित हैं।
१५) करेला और सहजन की फ़ली उच्च रक्त चाप-रोगी के लिये परम हितकारी हैं।
१६) केला,अमरूद,सेवफ़ल ब्लड प्रेशर रोग को दूर करने में सहायक कुदरती पदार्थ हैं।
१७) मिठाई और चाकलेट का सेवन बंद कर दें।
१८)सूखे मेवे :--जैसे बादाम काजू, आदि उच्च रक्त चाप रोगी के लिये लाभकारी पदार्थ हैं।
१९)चावल:-(भूरा) उपयोग में लावें। इसमें नमक ,कोलेस्टरोल,और चर्बी नाम मात्र की होती है। यह उच्च रक्त चाप रोगी के लिये बहुत ही लाभदायक भोजन है। इसमें पाये जाने वाले केल्शियम से नाडी मंडल की भी सुरक्षा हो जाती है।
२०)अदरक:-प्याज और लहसून की तरह अदरक भी काफी फायदेमंद होता है। बुरा कोलेस्ट्रोल धमनियों की दीवारों पर प्लेक यानी कि कैलसियम युक्त मैल पैदा करता है जिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध खड़ा हो जाता है और नतीजा उच्च रक्तचाप के रूप में सामने आता है। अदरक में बहुत हीं ताकतवर एंटीओक्सीडेट्स होते हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रोल को नीचे लाने में काफी असरदार होते हैं। अदरक से आपके रक्तसंचार में भी सुधार होता है, धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे कि उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।
२०)लालमिर्च:-धमनियों के सख्त होने के कारण या उनमे प्लेक जमा होने की वजह से रक्त वाहिकाएं और नसें संकरी हो जाती हैं जिससे कि रक्त प्रवाह में रुकावटें पैदा होती हैं। लेकिन लाल मिर्च से नसें और रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती हैं, फलस्वरूप रक्त प्रवाह सहज हो जाता है और रक्तचाप नीचे आ जाता है।

Low blood pressure

ब्लड प्रेशर कम( Low blood pressure)रहता हो तो निम्न उपचार हितकारी साबित हुए हैं---
किशमिश १० नग रात भर पानी में भिगोएँ । सुबह एक-एक किशमिश बहुत बारीक चबाकर खाएं। यह उपाय एक दो माह करें।
बादाम ७ नग रात भर पानी में भिगोएँ । छिलका निकालें।अच्छी तरह पीसकर २५० मिलि दूध के साथ उपयोग करें।
ब्लड प्रेशर ज्यादा गिरने पर चुटकी भर नमक पानी में घोलकर पीयें।
बोलना बंद करें। सो जाएं। बाईं करवट लेटें। नींद लेना लाभदायक होता है।

Wednesday, 26 March 2014

मधुमेह [डायबिटीज ]

मधुमेह [डायबिटीज ]

- मधुमेह एक स्थिति है जिसमे शरीर के एक महत्वपूर्ण अंग ने बगावत कर दी है . आसपास बहुत शकर है , ऊर्जा है पर शरीर उसे इस्तेमाल नहीं कर पाता.
- वह क्या कारण है जो हमारे शरीर का ही एक अंग हमारा साथ नहीं देता . वह है हमारी आत्मा जो हमारे विचार निरंतर झेलती है. कुछ नकारात्मक विचार जो हम लगातार करते रहते है हमारे किसी ना किसी नाज़ुक ग्रंथी को या तो सुस्त या अधिक कार्यरत कर देते है.
- जीवनी शक्ति उन अंगों तक पहुँच नहीं पाती. इस लिए ध्यान अत्यावश्यक है. मधुमेह के मरीज़ रोज़ भोजन से पहले शांत चित्त हो कर विचार करे की प्रभु की दिव्य शक्ति लीवर को प्राप्त हो रही है जिससे हमारे रक्त में जो शर्करा है वह कम हो रही है.
- ध्यान करते हुए हमें स्वयं को परेशान करने वाले विचारों को फेंक देना है. जो पुराने और भुला दिए गए नकारात्मक विचार है उन्हें भी हटाना है.
- ये नकारात्मक विचार किसी के लिए गुस्सा , नफरत , किसी का दिया आघात , कोई कमी का अनुभव आदि हो सकते है.
- कभी बिना भूख के खाना और कभी भूख लगने पर भी ना खाना दोनों ही गलत है.
- कई दिनों के उपवास जिसमे चाय कॉफ़ी पी जाए , साबूदाना , वनस्पति घी , रबड़ी , पेड़े , सफ़ेद शकर , तले हुए कंद आदि लिए जाए गलत है.
- उपवास जिसमे एसिडिटी हो गलत है.
- पॉलिश वाले चावल , सफ़ेद शकर, मैदा, आदि पदार्थों का अधिक सेवन कभी ना करे.
- भोजन प्रेशर कूक ना करे. हो सके तो मिटटी के बर्तन में उबला अन्न ले. एल्युमिनियम में तो बिलकुल ना पकाए.
- वात प्रवृत्ति पर नियंत्रण पाने के लिए अनुलोम विलोम और कपालभाती प्राणायाम अत्यावश्यक है. मंडूकासन करने से भी लाभ होता है |
- पेट और कमर के आसपास कभी चर्बी जमा ना होने दे. यह मधुमेह को जन्म देती है.
- सभी प्रकार के रस वाले और हर प्रकार से खाए जाने वाले अन्न ले. 

बेर

बेर :-
बेर 


बेर बहुत ही उपयोगी और पोषक तत्वों से भरपूर फल है। इन दिनों बेर का मौसम भी है। बेर को अधिकतर लोग बचपन में तो बहुत पसंद करते हैं, लेकिन बड़े होने पर खट्टेपन के कारण इसे नहीं खाते हैं। साथ ही, एक बड़ा कारण यह भी है कि लोग इसके गुणों से अनजान हैं।

बैर में कार्बोज 20-30 G.m., प्रोटीन 2.5 G.m., वसा 0.07 G.m., थाईमिन 0.02 M.g., राईबोफ्लेविन 0.03 M.g., कैल्शियम 25.6 M.g., आयरन 1.5-1-8 M.g., फॉस्फोरस 26.8 M.g. आदि पोषक तत्व उपस्थित होते हैं। चलिए आज जानते हैं बेर खाने से होने वाले कुछ बेहतरीन फायदों के बारे में...

विटामिन सी से भरपूर होता है-
संतरे और नींबू की ही तरह बेर में भी प्रचूर मात्रा में विटामिन-सी पाया जाता है। इसमें अन्य फलों के मुकाबले विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा ज्यादा होती है। इसके सेवन से त्वचा लंबी उम्र तक जवां बनी रहती है।

पेट दर्द की समस्या खत्म कर देता है-
बेर को छाछ के साथ लेने से पेट दर्द की समस्या खत्म हो जाती है।

दिल की बीमारियों का खतरा कम हो जाता है-
बेर खाने से कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है। इस कारण दिल से जुड़ी बीमारियां होने की संभावना कम हो जाती है।

बालों के लिए फायदेमंद-
बेर की पत्तियों में 61 आवश्यक प्रोटीन पाए जाने के साथ विटामिन सी, केरिटलॉइड और बी कॉम्प्लेक्स भी अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह बालों को घना और हेल्दी बनाता है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है-
बेर में मैग्नीशियम, पोटैशियम, फॉस्फोरस, कॉपर, कैल्शियम और आयरन और खनिज पदार्थ भी मौजूद होते हैं। इन तत्वों से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। जिससे शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है।

घाव जल्दी भर देता है-
बेर की पत्तियों को पीसकर तेल के साथ लेप बनाकर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है। बेर का गूदा लगाने से भी घाव ठीक हो जाता है।

खांसी और बुखार में है फायदेमंद-
बेर में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीइन्फ्लामेटरी गुण होते हैं। इसका जूस पीने से खांसी और बुखार में राहत मिलती है।

अनिद्रा की समस्या दूर हो जाती है-
बेर में 18 प्रकार के महत्वपूर्ण एमीनो एसिड मौजूद होते हैं, जो शरीर में प्रोटीन को संतुलित करते हैं। साथ ही, अनिद्रा की समस्या दूर करते हैं।

सर्दी खांसी जुकाम का इलाज़

सर्दी खांसी जुकाम का इलाज़

• एक अच्छी दवाई खांसी जुखाम एलर्जी सर्दी आदि के लिए जिसे आप घर पर बना सकते है इसके लिए आपको चाहिए तुलसी के पत्ते, तना और बीज तीनो का कुल वजन 50 ग्राम इसके लिए आप तुलसी के ऊपर से तोड ले इसमें बीज तना और तुलसी के पत्ते तीनो आ जाएंगे इनको एक बरतन में डाल कर 500 मिलि पानी डाल ले और इसमें 100 ग्राम अदरक और 20 ग्राम काली मिर्च दोनो को पीस कर डाले और अच्छे से उबाल कर काढे और जब पानी 100 ग्राम रह जाए तो इसे छान कर किसी कांच की बोतल में डाल कर रखे इसमे थोडा सा शहद मिला कर आप इसके दो चम्मच ले सकते है दिन में 3 बार

• जुखाम के लिए 2 चम्मच अजवायन को तवे पर हल्का भूने और फ़िर उसे एक रूमाल या कपडे में बांध ले और पोटली बना ले......उस पोटली को नाक से सूंघे और सो जाए

• खांसी के लिए रोज दिन में 3 बार हल्के गर्म पानी में आधा चम्मच सैंधा नमक डाल कर गरारे(gargles) करे सुबह उठ कर दोपहर को और फ़िर रात को सोने से पहले..............एक चम्मच शहद में थोडी सी पीसी हुई काली मिर्च का पाऊडर डाल कर मिलाए और उसे चाटे...........अगर खासी ज्यादा आ रही हो तो 2 साबुत कालीमिर्च के दाने और थोडी सी मिश्री मुंह में रख कर चूसे आराम मिलेगा

• अगर दही खाते है तो उसे बंद करदे और रात को सोते समय दूध न पिए

• तुलसी, काली मिर्च और अदरक की चाय खांसी में सबसे बढि़या रहती हैं।

• हींग, त्रिफला, मुलहठी और मिश्री को नीबू के रस में मिलाकर लेने से खांसी कम करने में मदद मिलती है।

• पीपली, काली मिर्च, सौंठ और मुलहठी का चूर्ण बनाकर चौथाई चम्मच शहद के साथ लेना अच्छा रहता है।

मोटापा कम करना

प्रतिदिन की सैर लाभदायक

मोटापा न केवल खूबसूरती का दुश्मन है वरन अनेक रोगों का घर है। मोटापा विभिन्न रोगों को निमंत्रण भी देता है। मोटापा एक ऐसा रोग है जो बहुत प्रयत्न के बाद भी शायद ही पीछा छोड़े। खानपान, रहन-सहन में थोड़ी-सी लापरवाही मोटापे का द्वार खोल देती है।

इसके लिए आप अपने आचार-व्यवहार, रहन-सहन पर अंकुश लगाए बगैर छरहरे नहीं रह सकते। स्वास्थ्यप्रद क्रियाकलापों को हम अपनी दिनचर्या में शामिल कर लें तो मोटापे के जालिम पंजों से बचा जा सकता है।

- मानसिक कार्य करने वाले व्यक्ति, अधिकारी जिनको पैदल चलने का काम कम पड़ता है, अक्सर मोटापे का शिकार हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति को खानपान का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। प्रतिदिन व्यायाम व सैर भी लाभदायक होती है।

- सुबह-शाम ताजा भोजन करें। समय व श्रम की बचत करने के लिए बहुत-सी महिलाएँ फ्रिज की बदौलत ढेर सारा खाना बना लेती हैं। समय व श्रम की बचत के और भी कई तरीके हैं, उन्हें आजमाइए।

- बासी भोजन में पौष्टिकता अमूमन पूरी तरह नष्ट हो जाती है। गरिष्ठ, तले, मसालेदार, खटाईयुक्त भोजन से परहेज करें। इनसे मोटापे के साथ-साथ अन्य बीमारियों की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

- भोजन चाहे हल्का-फुल्का हो या गरिष्ठ अपनी क्षमता के अनुसार ही ग्रहण करें। जितनी कैलोरी ग्रहण की है, शारीरिक श्रम द्वारा उतनी ही खर्च भी करें।

आलू बुखारा

आलू बुखारा :-
आलू बुखारा 

गुणकारी आलू बुखारा :-

आलू बुखारा गर्मी के दिनों में आता है | आलू बुखारा दो प्रकार का होता है । एक तो बहुत मीठा और एक खट्टा मीठा होता है । इसकी तासीर ठंडी होती  है ।
बवासीर के रोगियों के लिए यह काफी अच्छा है । उन्हें अधिक से अधिक मात्रा में आलू बुखारे का सेवन करना चाहिए ।

जिन लोगों को पेचिश का रोग हो उन्हें आलू बुखारे का जूस निकालकर दो-दो घंटे  के पश्चात देने से पेचिश का रोग ठीक हो जाता है ।

आम कमजोरी के लिए :-
जिन लोगों के शरीर में खून कम हो उनके लिए आलू बुखारा   बहुत लाभदायक है । उन्हें सुबह उठकर एक गिलास आलू बुखारा  का जूस पीना चाहिए । इससे इनके शरीर में नया खून बनना शुरू हो जायेगा और नयी शक्ति आयेगी । काम करने या चलने फिरने  से उन्हें थकान भी नहीं होगी ।

जोड़ों का दर्द :-
जोड़ों का दर्द  ही गठिया रोग होता है । ऐसे रोगियों के लिए आलू बुखारा  का जूस बहुत फायदेमंद होता है । उन्हें दिन में दो-तीन आलू बुखारे का जूस पीना चाहिए |

Sunday, 23 March 2014

संतरे का छिलका(संतरा)

संतरे खाएं तो छिलके न फेंके क्योंकि इन रोगों की ये है जबरदस्त दवा -----
जब हम संतरे को खाते हैं तो सामान्यत: हम उसके छिलके को फेंक देते हैं या उसके छिलके का उपयोग एक दूसरे की आंखों में डालने व रुलाने के लिए मस्ती में करते हैं जो एक तरह से एक उपयोगी चीज का नुकसान करना ही कहलाएगा। जी हां आपको ये सुनकर आश्चर्य जरूर हो रहा होगा लेकिन यह सच है।
संतरे का छिलका इतना उपयोगी है कि जब आप इसके गुण जान जाएंगे तो कभी इसके छिलके फेंकना नहीं चाहेंगे।

बालों को खूबसूरत बनाता है- अगर आपके बाल एकदम रफ और बेजान दिखाई देते हैं तो संतरे के छिलके आपके लिए वरदान साबित हो सकते हैं। संतरे के छिलकों को पीसकर बालों में लगाकर कुछ देर रखें और फिर बाल धो लें। बाल चमकीले और मुलायम हो जाएंगे। संतरे के छिलकों को पीस कर उसमे गुलाब जल मिलाकर चहरे पर लगाने से दाग व धब्बे मिटते हैं।

स्किन को ग्लोइंग बनाते हैं- संतरे के छिलके में क्लीजिंग, एंटी फंगल और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो कि पिंपल और एक्ने से लडऩे में सहायक होते हैं। संतरे के छिलके को सुखाकर पीसकर उसे दही मिलाकर स्किन पर लगाने से स्किन ग्लोइंग व स्मूथ बनती है। संतरे के छिलकों को बेसन में मिलाकर लगाना ऑइली स्किन वालों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है और पिंपल्स को खत्म कर देता है।

कोलेस्टॉल के रोगियों के लिए फायदेमंद है - एक अध्ययन के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को कोलेस्ट्रॉल की प्रॉब्लम हो तो ऐसे में संतरे के छिलके उपयोगी साबित हो सकते हैं। संतरे के छिलको में ऐसा गुण पाया जाता है जिससे उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर है जो मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों को फायदा हो सकता है। साथ ही ये कैंसर व हड्डियों की कमजोरी जैसी समस्याओं में भी विशेष रूप से लाभदायक है।

पाचन शक्ति बढ़ाता है- इसके छिलके में पाचनशक्ति बढ़ाने की क्षमता होती है। यह पाचन में सुधार, गैस, उल्टी, हार्ट बर्न और अम्लीय डकार को दूर करने में मदद करता है। यह भूख बढाता है और मतली से राहत दिलाने का काम करता है साथ ही संतरे का छिलका कृमि का नाश करने वाला व बुखार को मिटाने वाला भी होता है। इसलिए इन सभी रोगों के रोगियों को संतरे का छिलका पीसकर खिलाने पर फायदा होता है।

अनिद्रा की समस्या को दूर करता है- नारंगी के छिलके में एक विशेष प्रकार की गंध वाला तेल पाया जाता है। जी हां नारंगी के छिलके में एक विशेष प्रकार की गंध वाला तेल पाया जाता है। इस तेल का उपयोग तंत्रिकाओं को शांत करने व गहरी नींद के लिए किया जाता है। नहाने के पानी में इसका दो से तीन बूंद तेल डालिए और फिर देखिए कितनी मीठी नींद आती है।

Sunday, 16 March 2014

बालों का झड़ना

बालों का झड़ना :-
दानामेथी के लेप से रोकें बालों का झड़ना
सरसों के तेल में मेहंदी के पत्तिया डालकर गर्म करें । ठंडा होने पर बालों में लगाएं, इससे बालों का  झड़ना  रूक जायेगा ।

दानामेथी के बीजों को रात में पानी में भिगों दे । सुबह उठने पर इन्हे पीसकर  लेप बना लें और बालों पर लगा लगाएं । एक घंटे बाद सिर धों ले ।

बाल झड़ने पर जैतून के तेल में एक चमच्च शहद और एक चमच्च दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाकर सिर पर लगाए और १५ मिनट बाद सिर धो लें । बालों के झड़ने और असमय सफेद होने में भी लाभ मिलेगा |

Saturday, 15 March 2014

अदरक

अदरक :--
अदरक

ताजे अदरक को पीसकर और इसमें थोड़ा कपूर मिलाकर सूजन और दर्द वाले अंगों पर लगाया जाए तो काफी आराम मिलता है ।

मोच आने पर:-
शरीर के किसी हिस्से  पर चोट लग जाये तो अदरक का लेप लगायें । जब लेप सूख जाए तो तो इसे साफ करके गुनगुने सरसों के तेल कि मालिश करें । इसे एक दो बार किया जाये तो मोच का असर जल्दी खत्म हो जाता है ।

दांतों में दर्द :-
दांतों में दर्द होते समय अदरक के छोटे-छोटे टुकड़े दांतों में दबाकर रखने से दांतों में होने वाले  दर्द से आराम मिलता है ।
सूखी अदरक  या सोंठ के चूरन में थोडा सा लौंग का तेल मिलाकर दांतों पैर लगाया जाये तो आराम मिलता है |

Friday, 14 March 2014

तुलसी

 तुलसी:-
 तुलसी

सर्दी में उपयोगी औषधियाँ तुलसी, अदरक और लौंग ऐसे खाएंगे तो ये रोग परेशान नहीं करेंगे |

छोटी-छोटी हेल्थ प्रॉब्लम्स होने पर भी तुरंत दवा खाना कुछ लोगों की आदत होती है। इसका मुख्यकारण घरेलू नुस्खों व उन्हें अपनाएं जाने के सही तरीके की जानकारी न होना है। ये हेल्थ प्रॉब्लम्स ऐसी होती हैं जिन्हें बिना दवा खाए घरेलू नुस्खे अपनाकर भी ठीक किया जा सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसे ही घरेलू नुस्खे जो सिरदर्द, सर्दी-जुकाम, पेटदर्द जैसी छोटी प्रॉब्लम्स में रामबाण की तरह काम करते हैं....

- कच्चा लहसुन रोज सुबह खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है।

-रोज 50 ग्राम कच्चा ग्वारपाठा खाली पेट खाने से कोलेस्ट्रॉल कम हो जाता है।

-अदरक खाने से मुंह के हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं। साथ ही अदरक दांतों को भी स्वस्थ रखता है।अदरक का एक छोटा टुकड़ा छीले बिना (छिलकेसहित) गर्म करके छिलका उतार दें। इसे मुंह में रख कर आहिस्ता-आहिस्ता चबाते चूसते रहने से अन्दर जमा और रुका हुआ बलगम निकल जाता है और सर्दी-खांसी ठीक हो जाती है।

- लौंग को पीसकर एक चम्मच शक्कर में थोड़ा-सा पानी मिलाकर उबाल लें व ठंडा कर लें। इसे पीने से उल्टी होना व जी मिचलाना बंद हो जाता है।

- हींग, सोंठ, गुड आदि पाचन में बेहद सहायक चीजों का सेवन करने से यह बीमारी जड़ से चली जाती है। थोड़ी सी हल्दी, धनिया, अदरक और काला नमक लेकर इस थोड़े से पानी में उबालें। इस गर्म पानी को पी जाएं। पेट से गैस छू-मंतर हो जाएगी।

- अर्जुन की छाल का चूर्ण 3 से 6 ग्राम गुड़, शहद या दूध के साथ दिन में 2 या 3 बार लेने से दिल के मरीजों को काफी फायदा होता है।अर्जुन छाल और जंगली प्याज के कंदो का चूर्ण समान मात्रा में तैयार कर प्रतिदिन आधा चम्मच दूध के साथ लेने से हृदय रोगों में हितकर होता है।

-रोजाना तुलसी के पांच पत्ते खाने से मौसमी बुखार व जुकाम जैसी समस्याएं दूर रहती है।तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है।मुंह के छाले दूर होते हैं व दांत भी स्वस्थ रहते हैं।

-तौलिए को गर्म पानी में भिगोकर उसे सिर पर थोड़ी देर रखने से सिरदर्द में तुरंत आराम मिलता है।

हल्दी वाला दूध

हल्दी वाला दूध:-

हल्दी वाला दूध


- रात को सोते समय देशी गाय के गर्म दूध में एक चम्मच देशी गाय का घी और चुटकी भर हल्दी डालें . चम्मच से खूब मिलाकर कर खड़े खड़े पियें. - इससे त्रिदोष शांत होते है.

- संधिवात यानी अर्थ्राईटिस में बहुत लाभकारी है. - किसी भी प्रकार के ज्वर की स्थिति में , सर्दी खांसी में लाभकारी है.

- हल्दी एंटी माइक्रोबियल है इसलिए इसे गर्म दूध के साथ लेने से दमा, ब्रोंकाइटिस, फेफड़ों में कफ और साइनस जैसी समस्याओं में आराम होता है. यह बैक्टीरियल और वायरल संक्रमणों से लड़ने में मदद करती है.

- वजन घटाने में फायदेमंद गर्म दूध के साथ हल्दी के सेवन से शरीर में जमा चर्बी घटती है. इसमें मौजूद कैल्शियम और मिनिरल्स सेहतमंद तरीके से वजन घटाने में सहायक हैं।

- अच्छी नींद के लिए हल्दी में अमीनो एसिड है इसलिए दूध के साथ इसके सेवन के बाद नींद गहरी आती है.अनिद्रा की दिक्कत हो तो सोने से आधे घंटे पहले गर्म दूध के साथ हल्दी का सेवन करें.

- दर्द से आराम हल्दी वाले दूध के सेवन से गठिया से लेकर कान दर्द जैसी कई समस्याओं में आराम मिलता है. इससे शरीर का रक्त संचार बढ़ जाता है जिससे दर्द में तेजी से आराम होता है.

- खून और लिवर की सफाई आयुर्वेद में हल्दी वाले दूध का इस्तेमाल शोधन क्रिया में किया जाता है। यह खून से टॉक्सिन्स दूर करता है और लिवर को साफ करता है. पेट से जुड़ी समस्याओं में आराम के लिए इसका सेवन फायदेमंद है.

- पीरियड्स में आराम हल्दी वाले दूध के सेवन से पीरियड्स में पड़ने वाले क्रैंप्स से बचाव होता है और यह मांसपेशियों के दर्द से छुटकारा दिलाता है.

- मजबूत हड्डियां दूध में कैल्शियम अच्छी मात्रा में होता है और हल्दी में एंटीऑक्सीडेट्स भरपूर होते हैं

बेल पत्र के औषधीय प्रयोग

बेल पत्र के औषधीय प्रयोग :-

बेल पत्र 


- बेल पत्र के सेवन से शरीर में आहार के पोषक तत्व अधिकाधिक रूप से अवशोषित होने लगते है |
- मन एकाग्र रहता है और ध्यान केन्द्रित करने में सहायता मिलती है |
- इसके सेवन से शारीरिक वृद्धि होती है |
- इसके पत्तों का काढा पीने से ह्रदय मज़बूत होता है |
- बारिश के दिनों में अक्सर आँख आ जाती है यानी कंजक्टिवाईटीस हो जाता है . बेल पत्रों का रस आँखों में डालने से ; लेप करने से लाभ होता है |
- इसके पत्तों के १० ग्राम रस में १ ग्रा. काली मिर्च और १ ग्रा. सेंधा नमक मिला कर सुबह दोपहर और शाम में लेने से अजीर्ण में लाभ होता है |
- बेल पत्र , धनिया और सौंफ सामान मात्रा में ले कर कूटकर चूर्ण बना ले , शाम को १० -२० ग्रा. चूर्ण को १०० ग्रा. पानी में भिगो कर रखे , सुबह छानकर पिए | सुबह भिगोकर शाम को ले, इससे प्रमेह और प्रदर में लाभ होता है | शरीर की अत्याधिक गर्मी दूर होती है |
- बरसात के मौसम में होने वाले सर्दी , खांसी और बुखार के लिए बेल पत्र के रस में शहद मिलाकर ले |
- बेल के पत्तें पीसकर गुड मिलाकर गोलियां बनाकर रखे. इसे लेने से विषम ज्वर में लाभ होता है |
- दमा या अस्थमा के लिए बेल पत्तों का काढा लाभकारी है|
- सूखे हुए बेल पत्र धुप के साथ जलाने से वातावरण शुद्ध होता है|
- पेट के कीड़ें नष्ट करने के लिए बेल पत्र का रस लें|
- एक चम्मच रस पिलाने से बच्चों के दस्त तुरंत रुक जाते है |
- संधिवात में बेल पत्र गर्म कर बाँधने से लाभ मिलता है |
- महिलाओं में अधिक मासिक स्त्राव और श्वेत प्रदर के लिए और पुरुषों में धातुस्त्राव हो रोकने के लिए बेल पत्र और जीरा पीसकर दूध के साथ पीना चाहिए|

जायफल

जायफल:-

जायफल 


रसोई का मसाला जायफल गुणकारी औषधि भी है.आयुर्वेद में जायफल को वात एवं कफ नाशक बताया गया है।
आमाशय के लिए उत्तेजक होने से आमाशय में पाचक रस बढ़ता है, जिससे भूख लगती है। आंतों में पहुंचकर वहां से गैस हटाता है। ज्यादा मात्रा में यह मादक प्रभाव करता है। इसका प्रभाव मस्तिष्क पर कपूर के समान होता है, जिससे चक्कर आना, प्रलाप आदि लक्षण प्रकट होते हैं। इससे कई बीमारियों में लाभ मिलता है तथा सौन्दर्य सम्बन्धी कई समस्याओं से भी निजात मिलती है।
- सुबह-सुबह खाली पेट आधा चम्मच जायफल चाटने से गैस्ट्रिक, सर्दी-खांसी की समस्या नहीं सताती है। पेट में दर्द होने पर चार से पांच बूंद जायफल का तेल चीनी के साथ लेने से आराम मिलता है।
- सर में बहुत तेज दर्द हो रहा हो तो बस जायफल को पानी में घिस कर लगाएं।
- सर्दी के मौसम के दुष्प्रभाव से बचने के लिए जायफल को थोड़ा सा खुरचिये, चुटकी भर कतरन को मुंह में रखकर चूसते रहिये। यह काम आप पूरे जाड़े भर एक या दो दिन के अंतराल पर करते रहिये। यह शरीर की स्वाभाविक गरमी की रक्षा करता है, इसलिए ठंड के मौसम में इसे जरूर प्रयोग करना चाहिए।
- आपको किन्हीं कारणों से भूख न लग रही हो तो चुटकी भर जायफल की कतरन चूसिये इससे पाचक रसों की वृद्धि होगी और भूख बढ़ेगी, भोजन भी अच्छे तरीके से पचेगा।
- दस्त आ रहे हों या पेट दर्द कर रहा हो तो जायफल को भून लीजिये और उसके चार हिस्से कर लीजिये एक हिस्सा मरीज को चूस कर खाने को कह दीजिये। सुबह शाम एक-एक हिस्सा खिलाएं।
- फालिज का प्रकोप जिन अंगों पर हो उन अंगों पर जायफल को पानी में घिसकर रोज लेप करना चाहिए, दो माह तक ऐसा करने से अंगों में जान आ जाने की संभावना देखी गयी है।
- प्रसव के बाद अगर कमर दर्द नहीं ख़त्म हो रहा है तो जायफल पानी में घिसकर कमर पे सुबह शाम लगाएं, एक सप्ताह में ही दर्द गायब हो जाएगा।
- फटी एडियों के लिए इसे महीन पीसकर बीवाइयों में भर दीजिये। 12-15 दिन में ही पैर भर जायेंगे।
- जायफल के चूर्ण को शहद के साथ खाने से ह्रदय मज़बूत होता है। पेट भी ठीक रहता है।
- अगर कान के पीछे कुछ ऎसी गांठ बन गयी हो जो छूने पर दर्द करती हो तो जायफल को पीस कर वहां लेप कीजिए जब तक गाठ ख़त्म न हो जाए, करते रहिये।
- अगर हैजे के रोगी को बार-बार प्यास लग रही है, तो जायफल को पानी में घिसकर उसे पिला दीजिये।
- जी मिचलाने की बीमारी भी जायफल को थोड़ा सा घिस कर पानी में मिला कर पीने से नष्ट हो जाती है।
- इसे थोडा सा घिसकर काजल की तरह आँख में लगाने से आँखों की ज्योति बढ़ जाती है और आँख की खुजली और धुंधलापन ख़त्म हो जाता है।
- यह शक्ति भी बढाता है।
- जायफल आवाज में सम्मोहन भी पैदा करता है।
- जायफल और काली मिर्च और लाल चन्दन को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की चमक बढ़ती है, मुहांसे ख़त्म होते हैं।
- किसी को अगर बार-बार पेशाब जाना पड़ता है तो उसे जायफल और सफ़ेद मूसली 2-2 ग्राम की मात्र में मिलाकर पानी से निगलवा दीजिये, दिन में एक बार, खाली पेट, 10 दिन लगातार।
- बच्चों को सर्दी-जुकाम हो जाए तो जायफल का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण बराबर मात्रा में लीजिये फिर 3 चुटकी इस मिश्रण को गाय के घी में मिलाकर बच्चे को सुबह शाम चटायें।
- चेहरे पर या फिर त्वचा पर पड़ी झाईयों को हटाने के लिए आपको जायफल को पानी के साथ पत्थर पर घिसना चाहिए। घिसने के बाद इसका लेप बना लें और इस लेप का झाईयों की जगह पर इस्तेमाल करें, इससे आपकी त्वचा में निखार भी आएगा और झाईयों से भी निजात मिलेगी।
- चेहरे की झुर्रियां मिटाने के लिए आप जायफल को पीस कर उसका लेप बनाकर झुर्रियों पर एक महीने तक लगाएंगे तो आपको जल्द ही झुर्रियों से निजात मिलेगी।
- आंखों के नीचे काले घेरे हटाने के लिए रात को सोते समय रोजाना जायफल का लेप लगाएं और सूखने पर इसे धो लें। कुछ समय बाद काले घेरे हट जाएंगे।
- अनिंद्रा का स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है और इसका त्वचा पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। त्वचा को तरोताजा रखने के लिए भी जायफल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आपको रोजाना जायफल का लेप अपनी त्वचा पर लगाना होगा। इससे अनिंद्रा की शिकायत भी दूर होगी और त्वचा भी तरोजाता रहेगी।
- कई बार त्वचा पर कुछ चोट के निशान रह जाते हैं तो कई बार त्वचा पर नील और इसी तरह के घाव पड़ जाते हैं। जायफल में सरसों का तेल मिलाकर मालिश करें। जहां भी आपकी त्वचा पर पुराने निशान हैं रोजाना मालिश से कुछ ही समय में वे हल्के होने लगेंगे। जायफल से मालिश से रक्त का संचार भी होगा और शरीर में चुस्ती-फुर्ती भी बनी रहेगी।
- जायफल के लेप के बजाय जायफल के तेल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
- दांत में दर्द होने पर जायफल का तेल रुई पर लगाकर दर्द वाले दांत या दाढ़ पर रखें, दर्द तुरंत ठीक हो जाएगा। अगर दांत में कीड़े लगे हैं तो वे भी मर जाएंगे।
- पेट में दर्द हो तो जायफल के तेल की 2-3 बूंदें एक बताशे में टपकाएं और खा लें। जल्द ही आराम आ जाएगा।
- जायफल को पानी में पकाकर उस पानी से गरारे करें। मुंह के छाले ठीक होंगे, गले की सूजन भी जाती रहेगी।
- जायफल को कच्चे दूध में घिसकर चेहरें पर सुबह और रात में लगाएं। मुंहासे ठीक हो जाएंगे और चेहरे निखारेगा।
- एक चुटकी जायफल पाउडर दूध में मिला कर लेने से सर्दी का असर ठीक हो जाता है। इसे सर्दी में प्रयोग करने से सर्दी नहीं लगती।
- सरसों का तेल और जायफल का तेल 4:1 की मात्रा में मिलाकर रख लें। इस तेल से दिन में 2-3 बार शरीर की मालिश करें। जोड़ों का दर्द, सूजन, मोच आदि में राहत मिलेगी। इसकी मालिश से शरीर में गर्मी आती है, चुस्ती फुर्ती आती है और पसीने के रूप में विकार निकल जाता है।
- जायफल, सौंठ और जीरे को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को भोजन करने से पहले पानी के साथ लें। गैस और अफारा की परेशानी नहीं होगी।
- दस जायफल लेकर देशी घी में अच्छी तरह सेंक लें। उसे पीसकर छान लें। अब इसमें दो कप गेहूं का आटा मिलाकर घी में फिर सेकें। इसमें शक्कर मिलाकर रख लें। रोजाना सुबह खाली पेट इस मिश्रण को एक चम्मच खाएं, बवासीर से छुटकारा मिल जाएगा।
- नीबू के रस में जायफल घिसकर सुबह-शाम भोजन के बाद सेवन करने से गैस और कब्ज की तकलीफ दूर होती है।
- दूध पाचन : शिशु का दूध छुड़ाकर ऊपर का दूध पिलाने पर यदि दूध पचता न हो तो दूध में आधा पानी मिलाकर, इसमें एक जायफल डालकर उबालें। इस दूध को थोडा ठण्डा करके कुनकुना गर्म, चम्मच कटोरी से शिशु को पिलाएँ, यह दूध शिशु को हजम हो जाएगा।

नींबू

नींबू:-
नींबू 

नींबू को विटामिन ''सी'' का सबसे अच्छा स्त्रोत व स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है। विशेषकर पेट से संबंधित समस्याओं के लिए नींबू का प्रयोग अनेक तरीकों से किया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं नींबू के ऐसे ही कुछ प्रयोगों के बारे में जिनसे आप कई छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं से निजात पा सकते हैं।

- नींबू की शिकंजी, चीनी के बजाय सेंधा नमक डालकर पिएं कब्ज दूर हो जाएगी। स्कर्वी रोग में नींबू कारगर है एक भाग नींबू का रस और आठ भाग पानी मिलाकर रोजाना दिन में एक बार लें। नींबू के रस में थोड़ी शकर मिलाकर इसे गर्म कर सिरप जैसा बना लें। फिर इसमें थोड़ा पानी मिलाकर पीएं पित्त के लिए यह अचूक औषधि है।
- आधे नींबू का रस और दो चम्मच शहद मिलाकर चाटने से तेज खांसी व जुकाम में लाभ होता है।

- नींबू से हृदय की असामान्य धड़कन सामान्य हो जाती है।

- उच्च रक्तचाप के रोगियों की रक्तवाहिनियों को यह शक्ति देता है।
- एक नींबू के रस में तीन चम्मच शकर, दो चम्मच पानी घोलकर बालों की जड़ों में लगाकर एक घंटे बाद अच्छे से सिर धोने से रूसी दूर हो जाती है और बाल गिरना बंद हो जाते हैं। बालों में रूसी है तो बालों की जड़ों में नींबू का रस थोड़ी देर के लिए लगाकर छोड़ दें। फिर कुछ देर बाद सिर धो लें। रूसी से छुटकारा मिल जाएगा। शैम्पू करने के बाद थोड़े-से पानी में नींबू का रस मिलाकर बालों पर लगाएं। बाल चमकदार व मुलायम हो जाएंगे।
- मोटापे से परेशान हैं तो सुबह हल्के गर्म पानी में नींबू का रस डालकर पीएं। निरंतर प्रयोग से वजन कम हो जाएगा।
- मलेरिया और हैजा जैसी बीमारियों में भी नींबू पानी बहुत ही फायदेमंद है। नींबू में पिसी काली मिर्च छिड़क कर जरा सा गर्म करके चूसने से मलेरिया ज्वर में आराम मिलता है।
- काली कोहनियों को साफ करने के लिए नींबू को दो भागों में काटें और उस पर खाने वाला सोडा डालकर कोहनियों पर रगड़ें। मैल साफ हो जाएगा, कोहनियां मुलायम हो जाएंगी।
- नींबू के सेवन से सूखा रोग दूर होता है।
- नींबू का छिलका पीसकर उसका लेप माथे पर लगाने से माइग्रेन ठीक होता है।
- नींबू के बीज को पीसकर लगाने से गंजापन दूर होता है।
- बहरापन हो तो नींबू के रस में दालचीनी का तेल मिलाकर कान में डालें।
- आधा कप गाजर के रस में नींबू का रस मिलाकर पीएं,खून की कमी दूर होगी।

कलौंजी

कलौंजी:-
कलौंजी 

- कलौंजी एक बेहद उपयोगी मसाला है। इसका प्रयोग विभिन्न व्यंजनों जैसे दालों, सब्जियों, नान, ब्रेड, केक और आचार आदि में किया जाता है। कलौंजी की सब्जी भी बनाई जाती है।
- कलौंजी में एंटी-आक्सीडेंट भी मौजूद होता है जो कैंसर जैसी बीमारी से बचाता है।
- आयुर्वेद कहता है कि इसके बीजों की ताकत सात साल तक नष्ट नहीं होती.
- अपच या पेट दर्द में आप कलौंजी का काढा बनाइये फिर उसमे काला नमक मिलाकर सुबह शाम पीजिये.दो दिन में ही आराम देखिये.
- कैंसर के उपचार में कलौजी के तेल की आधी बड़ी चम्मच को एक ग्लास अंगूर के रस में मिलाकर दिन में तीन बार लें। लहसुन भी खुब खाएं।
- हृदय रोग, ब्लड प्रेशर और हृदय की धमनियों का अवरोध के लिए जब भी कोई गर्म पेय लें, उसमें एक छोटी चम्मच कलौंजी का तेल मिला कर लें.
- सफेद दाग और लेप्रोसीः- 15 दिन तक रोज पहले सेब का सिरका मलें, फिर कलौंजी का तेल मलें।
- एक चाय की प्याली में एक बड़ी चम्मच कलौंजी का तेल डाल कर लेने से मन शांत हो जाता है और तनाव के सारे लक्षण ठीक हो जाते हैं।
- कलौंजी के तेल को हल्का गर्म करके जहां दर्द हो वहां मालिश करें और एक बड़ी चम्मच तेल दिन में तीन बार लें। 15 दिन में बहुत आराम मिलेगा।
- एक बड़ी चम्मच कलौंजी के तेल को एक बड़ी चम्मच शहद के साथ रोज सुबह लें, आप तंदुरूस्त रहेंगे और कभी बीमार नहीं होंगे; स्वस्थ और निरोग रहेंगे .
- याददाश्त बढाने के लिए और मानसिक चेतना के लिए एक छोटी चम्मच कलौंजी का तेल 100 ग्राम उबले हुए पुदीने के साथ सेवन करें।
- पथरी हो तो कलौंजी को पीस कर पानी में मिलाइए फिर उसमे शहद मिलाकर पीजिये ,१०-११ दिन प्रयोग करके टेस्ट करा लीजिये.कम न हुई हो तो फिर १०-११ दिन पीजिये.
- कलौंजी की राख को तेल में मिलाकर गंजे अपने सर पर मालिश करें कुछ दिनों में नए बाल पैदा होने लगेंगे.इस प्रयोग में धैर्य महत्वपूर्ण है.
- किसी को बार-बार हिचकी आ रही हो तो कलौंजी के चुटकी भर पावडर को ज़रा से शहद में मिलकर चटा दीजिये.
- गैस/पेट फूलने की समस्या --50 ग्राम जीरा, 25 ग्राम अजवायन, 15 ग्राम कलौंजी अलग-अलग भून कर पीस लें और उन्हें एक साथ मिला दें। अब 1 से 2 चम्मच मीठा सोडा, 1 चम्मच सेंधा नमक तथा 2 ग्राम हींग शुद्ध घी में पका कर पीस लें। सबका मिश्रण तैयार कर लें। गुनगुने पानी की सहायता से 1 या आधा चम्मच खाएं।

चक्कर आना या सिर घूमना

चक्कर आना या सिर घूमना:-

चक्कर आना या सिर घूमना या आंखों के सामने गोल गोल घूमती हुई दिखाई देने वाली स्थिती को चक्कर आना या(vertigo )कहते है ।कुछ देर बैठे रहने के बाद जब उठते हैं तो चक्कर आने लगते हैं और आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है। रोगी को लगता है कि उसके चारों तरफ़ की चीजें बडी तेजी से घूम रही हैं।चक्कर का एक कारण दिमाग में खून की पूर्ति कम हो जाना है। चक्कर आने के विस्तृत कारण हो सकते हैं जैसे--कान में संक्रमण होना,कान में मैल अधिक होने से डाट लग जाना,माईग्रेन, आंखों की समस्या,सिर की ताजा चोट,हृदय के रोग,अर्बुद,रक्ताल्पता, खून में कैल्शियम का स्तर बिगड जाना आदि।

१) नारियल का पानी रोज पीने से चक्कर आना बंद हो जाते हैं।

२) खरबूजे के बीज की गिरी गाय के घी में भुन लें। इसे पीसकर रख लें। ५ ग्राम की मात्रा में सुबह शाम लेने से चक्कर आने की समस्या से मुक्ति मिल जाती है।

३) १५ ग्राम मुनक्का देशी घी में भुनकर उस पर सैंधा नमक बुरककर सोते समय खाने से चक्कर आने का रोग मिट जाता है।

४) सूखा आंवला पीस लें। दस ग्राम आंवला चूर्ण और १० ग्राम धनिया का पावडर एक गिलास पानी में डालकर रात को रख दें। सुबह अच्छी तरह मिलाकर छानकर पी जाएं। चक्कर आने में आशातीत लाभ होगा।

५) अदरक लगभग 20 ग्राम की मात्रा में बारीक काटकर पानी में उबालें आधा रह जाने पर छानकर पीयें। अदरक का रस भी इतना ही उपकारी है।सब्जी बनाने में भी अदरक का भरपूर उपयोग करें। चाय बनाने में अदरक का प्रयोग करें।अदरक किसी भी तरह खाएं चक्कर आने के रोग में आशातीत लाभकारी है।

६) तुलसी के २० पत्ते पीसकर शहद मिलाकर चाटने से चक्कर आने की समस्या काफ़ी हद तक नियंत्रण में आ जाती है।

चक्कर आने की बीमारी में असरदार एक और उपचार नोट कर लें-

७) १० ग्राम गेहूं,५ ग्राम पोस्तदाना,७ नग बादाम,७नग कद्दू के बीज लेकर थोडे से पानी के साथ पीसकर इनका पेस्ट बनालें। अब कढाई में थोडा सा गाय का घी गरम करें और इसमें २-३ नग लोंग पीसकर डाल दें। अब बनाया हुआ पेस्ट इसमें डालकर एक मिनट आंच दें। इस मिश्रण को एक गिलास दूध में घोलकर पियें। चक्कर आने में असरदार स्वादिष्ट नुस्खा है।

८)चाय,काफ़ी और तली गली मसालेदार चीजों से परहेज करना आवश्यक है। इनके उपयोग से चक्कर आने की तकलीफ़ में इजाफ़ा होता है।

९) कभी-कभी नमक की मात्रा शरीर में कम होने पर भी चक्कर आने लगते हैं। आलू की नमकीन चिप्स खाने से लाभ होता देखा गया है।

१०) जब चक्कर आने का हमला हुआ हो , बर्फ़ के समान ठंडा पानी ३ गिलास पीने से भी तुरंत राहत मिलती है।

११) चक्कर आने की तकलीफ़ में रोगी को आहिस्ता घूमना चाहिये। तेज चलने से गिरकर चोंट लगने की संभावना रहती है।आहिस्ता चलने से वर्टिगो का प्रभाव कम हो जाता है।

१२) अचानक चक्कर आने पर सबसे बढिया बात यह है कि लेट जाएं। चित्त लेटना उचित नहीं है। साइड से लेटें और सिर के नीचे तकिया अवश्य लगाएं।

१३) अगर विडियो गेम्स की वजह से चक्कर आते हो तो यह रुचि नियंत्रित करें।

१४) अनुलोम विलोम प्राणायाम से चक्कर आने की व्याधि से हमेशा के लिये छुटकारा मिल जाता है।

लौंग

लौंग:-
लौंग

लौंग के फायदे और घरेलु नुस्खे

चाहे भोजन का जायका बढ़ाना हो या फिर दर्द से छुटकारा, छोटी सी लौंग को न सिर्फ अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है बल्कि इसके फायदे भी अनेक हैं। साधारण से सर्दी-जुकाम से लेकर कैंसर जैसे गंभीर रोग के उपचार में लौंग का इस्तेमाल किया जाता है। इसके गुण कुछ ऐसे हैं कि न सिर्फ आयुर्वेद बल्कि होम्योपैथ व एलोपैथ जैसी चिकित्सा विधाओं में भी बहुत अधिक महत्व आंका जाता है।

भोजन में फायदेमंद
मसाले के रूप में लौंग का इस्तेमाल शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें प्रोटीम, आयरन, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम और हाइड्रोक्लोरिक एसिड भरपूर मात्रा में मिलते हैं। इसमें विटामिन ए और सी, मैग्नीज और फाइबर भी पाया जाता है।

दर्दनाशक गुण
लौंग एक बेहतरीन नैचुरल पेनकिलर है। इसमें मौजूद यूजेनॉल ऑयल दांतों के दर्द से आराम दिलाने में बहुत लाभदायक है। दांतो में कितना भी दर्द क्यों न हो, लौंग के तेल को उनपर लगाने से दर्द छूमंतर हो जाता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल विशेषता होती है जिस वजह से अब इसका इस्तेमाल कई तरह के टूथपेस्ट, माउथवाश और क्रीम बनाने में किया जाता है।

गठिया में आराम
गठिया रोग में जोड़ों में होने वाले दर्द व सूजन से आराम के लिए भी लौंग बहुत फायदेमंद है। इसमें फ्लेवोनॉयड्स अधिक मात्रा में पाया जाता है। कई अरोमा एक्सपर्ट गठिया के उपचार के लिए लौंग के तेल की मालिश को तवज्जो देते हैं।

श्वास संबंधी रोगों में आराम
लौंग के तेल का अरोमा इतना सशक्त होता है कि इसे सूंघने से जुकाम, कफ, दमा, ब्रोंकाइटिस, साइनसाइटिस आदि समस्याओं में तुरंत आराम मिल जाता है।

बेहतरीन एंटीसेप्टिक
लौं व इसके तेल में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जिससे फंगल संक्रमण, कटने, जलने, घाव हो जाने या त्वचा संबंधी अन्य समस्याओं के उपचार में इसका इस्तेमाल किया जाता है। लौंग के तेल को कभी भी सीधे त्वचा पर न लगाकर किसी तेल में मिलाकर लगाना चाहिए।

पाचन में फायदेमंद
भोजन में लौंग का इस्तेमाल कई पाचन संबंधी समस्याओं में आराम पहुंचाता है। इसमें मौजूद तत्व अपच, उल्टी गैस्ट्रिक, डायरिया आदि समस्याओं से आराम दिलाने में मददगार हैं।

कैंसर
शोधकर्ताओं का मानना है कि लौंग के इस्तेमाल से फेफड़े के कैंसर और त्वचा के कैंसर को रोकने में काफी मदद मिल सकती है। इसमें मौजूद युजेनॉल नामक तत्व इस दिशा में काफी सहायक है।

अन्य फायदे
इतना ही नहीं, लौंग का सेवन शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है और रक्त शुद्ध करता है। इसका इस्तेमाल मलेरिया, हैजा जैसे रोगों के उपचार के लिए दवाओं में किया जाता है। डायबिटीज में लौंग के सेवन से ग्लूकोज का स्तर कम होता है। लौंग का तेल पेन किलर के अलावा मच्छरों को भी दूर भगाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।

बालों का झडऩा

बालों का झडऩा:-
बालों का झडऩा ऐसी समस्या है, जो किसी को भी तनाव में डाल सकती है। आज हर दूसरे व्यक्ति को बालों की समस्या से जूझना पड़ता है। अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो नीचे दिए आयुर्वेदिक फंडे एक बार जरूर अपनाएं।
ताकि बाल बनें चमकदार

हमारे बाल बहुत ही नाजुक होते हैं। धूल, धूप, प्रदूषण, स्ट्रांग केमिकल युक्त शैंपू आदि से ये रूखे, बेजान व दो मुँहे हो जाते हैं तथा कमजोर होकर झड़ने लगते हैं।

बालों को झड़ने से रोकने तथा स्वस्थ रखने हेतु इनकी विशेष देखभाल करनी होती है। आइए हम आपको बताते हैं कुछ ऐसे टिप्स, जिससे आपके बाल चमकदार, स्वस्थ व मजबूत बनेंगे -

* बालों को न तो ज्यादा तेज गरम पानी से धोने चाहिए और न ही बालों को रगड़कर पोंछना चाहिए। बालों को सुखाने के लिए खुरदरा नहीं बल्कि नरम तौलिया इस्तेमाल में लाना चाहिए। सिर पर तौलिये को लपेट कर थपथपा कर सिर का पानी सुखाना चाहिए।

* बाल सँवारने में हमेशा चौड़े दाँत वाले ब्रश या कंघी का इस्तेमाल करें। गीले बालों में भूल से भी कंघी न करें। बालों की छोटी-छोटी लटें लेकर उन्हें आराम से सुलझाना चाहिए।

* बालों को खूबसूरत और चमकदार बनाने के लिए खाने में वसा और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाएँ। ताजे फल और सब्जियों से उचित प्रोटीन और वसा प्राप्त की जा सकती है।

* नारियल के तेल में कपूर मिलाएं और यह तेल अच्छी तरह बालों में तथा सिर पर लगाएं। कुछ ही दिनों डेंड्रफ की समस्या से राहत मिलेगी।

* सामान्यत: सभी के यहां शहद आसानी से मिल जाता है। शहद के औषधीय गुण सभी जानते हैं। शहद की तासीर ठंडी होती है और यह कई बीमारियों को दूर करने में सक्षम है। शहद से बालों का झडऩा भी रोका जा सकता है।

* बाल झड़ते हैं तो गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। नहाने से पहले इस पेस्ट को सिर पर लगा लें। 15 मिनट बाद बाल गरम पानी से सिर को धोएं। ऐसा करने पर कुछ ही दिनों बालों के झडऩे की समस्या दूर हो जाएगी।

जीरा

जीरा:-

जीरा


जीरा एक ऐसा मसाला है जिसके छौंक से दाल और सब्जियों का स्वाद बहुत बढ़ जाता है। चाट का चटपटा स्वाद भी जीरे के बिना अधूरा सा लगता है। अंग्रेजी में इसे क्यूमिन कहा जाता है। इसका वानस्पतिक नाम क्यूमिनम सायमिनम है। यह पियेशी परिवार का एक पुष्पीय पौधा है। मुख्यत: पूर्वी भूमध्य सागर से लेकर भारत तक इसकी पैदावार अधिक होती है।

दिखने में सौंफ के आकार का दिखाई देने वाला जीरा सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाता यह बहुत उपयोगी भी है। यही कारण है कि कई रोगों में दवा के रूप में भी जीरे का उपयोग किया जा सकता है। आइए देखते हैं घरेलू नुस्खे के रूप में किन रोगों के उपचार के लिए जीरा उपयोगी है......

- जीरा आयरन का सबसे अच्छा स्रोत है। इसे नियमित रूप से खाने से खून की कमी दूर हो जाती है। गर्भवती महिलाओं के लिए जीरा अमृत का काम करता है।

- जीरा, अजवाइन, सौंठ, कालीमिर्च, और काला नमक अंदाज से लेकर इसमें घी में भूनी हींग कम मात्रा में मिलाकर खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है। पेट का दर्द ठीक हो जाता है।

- जीरा, अजवाइन और काला नमक का चूर्ण बनाकर रोजाना एक चम्मच खाने से तेज भूख लगती है।

- 3 ग्राम जीरा और 125 मि.ग्रा. फिटकरी पोटली में बांधकर गुलाब जल में भिगो दें। आंख में दर्द होने पर या लाल होने पर इस रस को टपकाने से आराम मिलता है।

- दही में भुने जीरे का चूर्ण मिलाकर खाने से डायरिया में आराम मिलता है।

- जीरे को नींबू के रस में भिगोकर नमक मिलाकर खाने से जी मिचलाना बंद हो जाता है।

- जीरा में थोड़ा-सा सिरका डालकर खाने से हिचकी बंद हो जाती है।

- जीरे को गुड़ में मिलाकर गोलियां बनाकर खाने से मलेरिया में लाभ होता है।

- एक चुटकी कच्चा जीरा खाने से एसिडिटी में तुरंत राहत मिलती है।

- डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए एक छोटा चम्मच पिसा जीरा दिन में दो बार पानी के साथ लेने से लाभ होता है।

- कब्जियत की समस्या हो तो जीरा, काली मिर्च, सौंठ और करी पाउडर को बराबर मात्रा में लें और मिश्रण तैयार कर लें। इसमें स्वादानुसार नमक डालकर घी में मिलाएं और चावल के साथ खाएं।राहत मिलेगी।

- पके हुए केले को मैश करके उसमें थोड़ा-सा जीरा मिलाकर रोजाना रात के खाने के बाद लें। अनिद्रा की समस्या दूर हो जाएगी।

- इसमें एंटीसेप्टिक तत्व भी पाया जाता है। सीने में जमे हुए कफ को बाहर निकलने के लिए जीरे को पीसकर फांक लें। यह सर्दी-जुकाम से भी राहत दिलाता है।

- हींग को उबाल लें। इस पानी में जीरा, पुदीना, नींबू और नमक मिलाकर पिलाने से हिस्टीरिया के रोगी को तत्काल लाभ होता है।

- थायराइड (गले की गांठ) में एक कप पालक के रस के साथ एक चम्मच शहद और चौथाई चम्मच जीरा पाउडर मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।

- मेथी, अजवाइन, जीरा और सौंफ 50-50 ग्राम और स्वादानुसार काला नमक मिलाकर पीस लें। एक चम्मच रोज सुबह सेवन करें। इससे शुगर, जोड़ों के दर्द और पेट के विकारों से आराम मिलेगा।

- प्रसूति के पश्चात जीरे के सेवन से गर्भाशय की सफाई हो जाती है।

- खुजली की समस्या हो तो जीरे को पानी में उबालकर स्नान करें। राहत मिलेगी।

- एक गिलास ताजी छाछ में सेंधा नमक और भुना हुआ जीरा मिलाकर भोजन के साथ लें। इससे अजीर्ण और अपच से छुटकारा मिलेगा।

- आंवले की गुठली निकालकर पीसकर भून लें। फिर उसमें स्वादानुसार जीरा, अजवाइन, सेंधा नमक और थोड़ी-सी भुनी हुई हींग मिलाकर गोलियां बना लें। इन्हें खाने से भूख बढ़ती है। इतना ही नहीं, इससे डकार, चक्कर और दस्त में लाभ होता है।

- जीरा उबाल लें और छानकर ठंडा करें। इस पानी से मुंह धोने से आपका चेहरा साफ और चमकदार होगा।

- एक चम्मच जीरा भूनकर रोजाना चबाने से याददाश्त अच्छी रहती है।

- जिनको अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या अन्य सांस संबंधी समस्या है, उन्हें जीरे का नियमित प्रयोग किसी भी रूप में करना चाहिए।

- दक्षिण भारत में लोग अक्सर जीरे का पानी पीते हैं। उनके अनुसार, इसके सेवन से मौसमी बीमारियां नहीं होतीं और पेट भी तंदुरुस्त रहता है।

- 50 ग्राम जीरे में 50 ग्राम मिश्री मिलाकर पीसकर पाउडर बना लें। इसे सुबह-शाम एक चम्मच सेवन करें। बवासीर में आराम मिलेगा।