शहतूत-
यह मूलतः चीन में पाया जाता है | यह साधारणतया जापान ,नेपाल,पाकिस्तान,बलूचिस्तान ,अफगानिस्तान ,श्रीलंका,वियतनाम तथा सिंधु के उत्तरी भागों में पाया जाता है | भारत में यह पंजाब,कश्मीर,उत्तराखंड,उत्तर प्रदेश एवं उत्तरी पश्चिमी हिमालय में पाया जाता है | इसकी दो प्रजातियां पायी जाती हैं | १- तूत (शहतूत) २-तूतड़ी |
इसके फल लगभग २.५ सेंटीमीटर लम्बे,अंडाकार अथवा लगभग गोलाकार ,श्वेत अथवा पक्वावस्था में लगभग हरिताभ-कृष्ण अथवा गहरे बैंगनी वर्ण के होते हैं | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल जनवरी से जून तक होता है | इसके फल में प्रोटीन,वसा,कार्बोहायड्रेट,खनिज,कैल्शियम,फॉस्फोरस,कैरोटीन ,विटामिन A ,B एवं C,पेक्टिन,सिट्रिक अम्ल एवं मैलिक अम्ल पाया जाता है |आज हम आपको शहतूत के औषधीय गुणों से अवगत कराएंगे -
१- शहतूत के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारे करने से गले के दर्द में आराम होता है ।
२- यदि मुँह में छाले हों तो शहतूत के पत्ते चबाने से लाभ होता है |
३- शहतूत के फलों का सेवन करने से गले की सूजन ठीक होती है |
४- पांच - दस मिली शहतूत फल स्वरस का सेवन करने से जलन,अजीर्ण,कब्ज,कृमि तथा अतिसार में अत्यंत लाभ होता है |
५- एक ग्राम शहतूत छाल के चूर्ण में शहद मिलाकर चटाने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं |
६- शहतूत के बीजों को पीस कर लगाने से पैरों की बिवाईयों में लाभ होता है |
७- शहतूत के पत्तों को पीसकर लेप करने से त्वचा की बीमारियों में लाभ होता है|
८- सूखे हुए शहतूत के फलों को पीसकर आटे में मिलाकर उसकी रोटी बनाकर खाने से शरीर पुष्ट होता है
शहतूत |
यह मूलतः चीन में पाया जाता है | यह साधारणतया जापान ,नेपाल,पाकिस्तान,बलूचिस्तान ,अफगानिस्तान ,श्रीलंका,वियतनाम तथा सिंधु के उत्तरी भागों में पाया जाता है | भारत में यह पंजाब,कश्मीर,उत्तराखंड,उत्तर प्रदेश एवं उत्तरी पश्चिमी हिमालय में पाया जाता है | इसकी दो प्रजातियां पायी जाती हैं | १- तूत (शहतूत) २-तूतड़ी |
इसके फल लगभग २.५ सेंटीमीटर लम्बे,अंडाकार अथवा लगभग गोलाकार ,श्वेत अथवा पक्वावस्था में लगभग हरिताभ-कृष्ण अथवा गहरे बैंगनी वर्ण के होते हैं | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल जनवरी से जून तक होता है | इसके फल में प्रोटीन,वसा,कार्बोहायड्रेट,खनिज,कैल्शियम,फॉस्फोरस,कैरोटीन ,विटामिन A ,B एवं C,पेक्टिन,सिट्रिक अम्ल एवं मैलिक अम्ल पाया जाता है |आज हम आपको शहतूत के औषधीय गुणों से अवगत कराएंगे -
१- शहतूत के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारे करने से गले के दर्द में आराम होता है ।
२- यदि मुँह में छाले हों तो शहतूत के पत्ते चबाने से लाभ होता है |
३- शहतूत के फलों का सेवन करने से गले की सूजन ठीक होती है |
४- पांच - दस मिली शहतूत फल स्वरस का सेवन करने से जलन,अजीर्ण,कब्ज,कृमि तथा अतिसार में अत्यंत लाभ होता है |
५- एक ग्राम शहतूत छाल के चूर्ण में शहद मिलाकर चटाने से पेट के कीड़े निकल जाते हैं |
६- शहतूत के बीजों को पीस कर लगाने से पैरों की बिवाईयों में लाभ होता है |
७- शहतूत के पत्तों को पीसकर लेप करने से त्वचा की बीमारियों में लाभ होता है|
८- सूखे हुए शहतूत के फलों को पीसकर आटे में मिलाकर उसकी रोटी बनाकर खाने से शरीर पुष्ट होता है
No comments:
Post a Comment