Friday, 25 April 2014

संधिवात

संधिवात 
संधिवात में शरीर के किसी संधि जोड में शोध की उत्पत्ति होती है। धीरे-धीरे शोथ विकसित होता है और तीव्र शूल होने लगता है। शोथ के कारण त्वचा लाल हो जाती है। संधि शोथ को स्पर्श करने में भी पीड़ा होती है। रात को अधिक पीड़ा होने से रोगी की नींद नष्ट हो जाती हैं।

संधि शोथ और शूल के कारण रोगी चलने-फिरने में असमर्थ हो जाता है। उठकर खड़े होने में भी तीव्र शूल होता है। संधिवात के कारण रोगी को ज्वर भी हो जाता है। संधिवात के उग्र रूप धारण करने पर रोगी की भूख नष्ट हो जाती है।

क्या खाएं?

* लहसुन की एक-दो कली प्रतिदिन हल्के गर्म जल के साथ सेवन करें।
* गर्म जल व दूध में मधु मिलाकर पीने से बहुत लाभ होता है।
* लहसुन की कलियों को सरसों के तेल में देर तक उबालकर जलाएं, फिर उस तेल को छानकर संधि शोथ के अंगों पर मालिश करें।
* मेथी का चूर्ण बनाकर प्रतिदिन 3 ग्राम चूर्ण हल्के गर्म जल के साथ सेवन करने से संधिवात का शूल कम होता है।
* संधिवात का रोगी कोष्ठबद्धता होने पर एरंड का तेल 7-8 ग्राम की मात्रा में उबाले हुए दूध में डालकर पिएं।
* अदरक के 5 ग्राम रस में मधु मिलाकर सेवन करने से संधि शूल नष्ट होता है।
* महा नारायण तेल की संधि शोथ पर मालिश करें।
* चुकंदर का सेवन करने से संधि शूल नष्ट होता है।
* प्याज के रस को सरसों के तेल में मिलाकर हल्का-सा गर्म करके संधि शोथ पर मलने से बहुत लाभ होता है।
* आलू की सब्जी खाने से शूल कम होता है।
* कुलथी को जल में उबालकर क्वाथ बनाएं। क्वाथ को छानकर उसमें सोंठ का चूर्ण और सेंधा नमक मिलाकर पिएं।
* अजवायन का 3 ग्राम चूर्ण थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर हल्के गर्म जल के साथ सेवन करें।

क्या न खाएं?

* संधिवात के रोगी शीतल खाद्य और शीतल पेयों का सेवन न करें।
* सब्जियों में गाजर, मूली, टमाटर, अरबी, कचालू, फूलगोभी, भिंडी न खाएं।
* दही और तक्र (मट्ठे) का सेवन न करें।
* चावल व उड़द की दाल का सेवन न करें।
* घी, तेल, मक्खन से बने पकवान न खाएं।
* मांस, मछली व अंडे के साथ-साथ उष्ण मिर्च-मसालों से बनी तली हुई चीजों का सेवन ना करें।
* नंगे पाव फर्श पर न घूमें।
* भीगे वस्त्रों में देर तक न रहें।

प्रतिदिन पूज्य स्वामी जी महाराज द्वारा सिखाये जाने वाले सातों प्राणायामों का अभ्यास मंद गति से करें ,लाभ होगा |

कटहल

अगर आप कटहल को सिर्फ स्वाद में मांसाहार का शाकाहारी विकल्प मानकर खाते हैं तो इसके पोषक तत्वों के बारे में जानने के बाद इसका स्वाद आपको और बेहतर लगेगा।
100 ग्राम कटहल में 303 मिलीग्राम पोटैशियम, 24 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए,सी और थाइमिन, 0.108 ग्राम विटामिन बी6, 37 ग्राम मैग्नीशियम, 94 कैलोरी, 14 एमसीजी फोलेट जैसे कई पोषक तत्व होते हैं।
पोटैशियम की अधिकता की वजह से यहलो ब्लड प्रेशर में बहुत फायदेमंद है। इसके अलावा, यह डायरिया और दमा के रोगियों के लिए भी फायदेमंद है। विटामिन सी की वजह से यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है और पेट में अल्सर की आशंका कम करता है। कटहल के फल केअलावा इसके बीज भी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हैं।

अरबी

अरबी की सब्जी न सिर्फ सामान्य डाइट में बल्कि फलाहार के रूप में भी प्रचलित है लेकिन इसके बादी स्वभाव के कारण हम इसके पोषक तत्वों पर ध्यान नहीं देते। 100 ग्राम अरबी में 42 ग्राम कैलोरी है जो आलू से भी अधिक है। इसके अलावा इसमें 3.7 ग्राम फाइबर, पांच ग्राम प्रोटीन, 648 मिलीग्राम पोटैशियम, विटामिन ए, सी, कैल्शियम और आयरन जैसे कई जरूरी पोषक तत्व हैं।
अधिक फाइबर की वजह से इसका पाचन आसान है। एंटीऑक्सीडेंट्स की अधिकता की वजह से यह त्वचा के लिए फायदेमंद है।

अरबी

अरबी की सब्जी न सिर्फ सामान्य डाइट में बल्कि फलाहार के रूप में भी प्रचलित है लेकिन इसके बादी स्वभाव के कारण हम इसके पोषक तत्वों पर ध्यान नहीं देते। 100 ग्राम अरबी में 42 ग्राम कैलोरी है जो आलू से भी अधिक है। इसके अलावा इसमें 3.7 ग्राम फाइबर, पांच ग्राम प्रोटीन, 648 मिलीग्राम पोटैशियम, विटामिन ए, सी, कैल्शियम और आयरन जैसे कई जरूरी पोषक तत्व हैं।
अधिक फाइबर की वजह से इसका पाचन आसान है। एंटीऑक्सीडेंट्स की अधिकता की वजह से यह त्वचा के लिए फायदेमंद है।

गर्मियों के पेय पदार्थ

गर्मियों में खाएं कम, पीएं ज्यादा ,पेय पदार्थों का करें नियमित सेवन

पेय पदार्थों की गर्मियों में एक अलग ही भूमिका होती है, फिर भले ही वह पेय पदार्थ पानी हो या जूस । इनके नियमित सेवन से हमारी त्वचा में निखार आने के साथ ही शरीर को भी भरपूर ऊर्जा मिलती है। फ्रूट जूस जहां आयरन और विटामिन से भरपूर होते हैं, वहीं वेजीटेबल जूस शरीर के लिए उपयोगी पोषक तत्वों से युक्त होते हैं। इन दोनों ही तरह के जूस का सेवन शरीर के लिए फायदेमंद होता है। यदि आप बेहतर स्वास्थ्य पाने की इच्छा रखते हैं तो आपको गर्मियों के अलावा हर मौसम में जूस और पानी की उचित मात्रा को शामिल करना होगा।

पानी 

कम मात्रा में पानी पीने से हमारे शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिसका प्रभाव शरीर के साथ ही त्वचा पर भी देखा जा सकता है। त्वचा की चमक को बरकरार रखने के लिए आपको हर दिन भरपूर मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए। पानी हमारी त्वचा की कोशिकाओं का भी प्रमुख तत्व होता है। जिस तरह से हम त्वचा की बाहरी नमी को बरकरार रखने के लिए उस पर मॉइश्चराइजर लगाते हैं उसी प्रकार से त्वचा को अंदरुनी नमी व पोषण प्रदान करने के लिए हमें पानी का अधिक से अधिक सेवन करना चाहिए।

जूस 

100 % फल या सब्जियों से बनाए गए जूस हमारे शरीर में विटामिन की पूर्ति करने के साथ ही त्वचा को भी पोषण प्रदान करते हैं। स्वाद में लाजवाब होने के साथ ही जूस त्वचा की गहराई से सफाई कर विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है। एक रिसर्च के अनुसार गहरे रंग के फलों के जूस शरीर के लिए अधिक गुणकारी होते हैं। अनार और ब्लू बेरी के जूस में हमारे शरीर व त्वचा के लाभकारी एंटी ऑक्सीडेंट की भरपूर मात्रा होती है। चुकंदर का रस भी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होता है।

ऐलोवेरा जूस 

त्वचा के लालपन व खुजली को खत्म करने के साथ ही ऐलोवेरा का जूस त्वचा संबंधी अन्य समस्याओं जैसे कि एक्जिमा, सोरियोसिस में भी औषधि की तरह कार्य करता है। रक्त की शुद्धि, पाचन क्रिया को बढ़ाना, आर्थराइटिस में कारगर व शारीरिक क्षमता को बढाने के साथ ही ऐलोवेरा जूस के अनगिनत फायदे हैं। रोजाना एक कप ऐलोवेरा जूस का सेवन हमारे स्वास्थ्य व त्वचा संबंधी कई समस्याओं के निदान में कारगर है।

ग्रीन टी 

ग्रीन टी को बगैर उबली हरी पत्तियों से बनाया जाता है। यही वजह है कि ग्रीन टी में उच्च स्तर पर पॉलीफिनोल्स होते हैं, जो एक ऐसा केमिकल कंपाउंड है जिसके पिगमेंट एंटी एजिंग के तौर पर कार्य करके त्वचा से झुर्रियों को कम कर उसे फोटो प्रोटेक्शन देते हैं। ग्रीन टी की विशेषता उसके एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फ्लामेट्री गुण भी होते हैं। बालों के लिए भी ग्रीन टी बेहतर है। यदि हम शुद्धता की बात करें तो चाय में शुद्धता के मामले में ग्रीन टी से बेहतर कोई नहीं है।

ब्लैक टी 

ब्लैक टी भी ग्रीन टी के समान पत्तियों से ही बनाई जाती है। विटामिन ई और सी के साथ ही ब्लैक टी में मौजूद स्ट्रांग एंटीऑक्सीडेंट त्वचा पर प्रीमैच्योर एजिंग के लक्षणों को कम करता है। ब्लैक टी ऐसे एस्ट्रीजेंट के तौर पर कार्य करती है जिससे चेहरा बेदाग व चमकदार बनता है। ब्लैक टी के बेहतर परिणामों के लिए इसे दूध के बगैर पिएं, क्योंकि दूध इसके एंटी ऑक्सीडेंट गुण को घटाता है।

इनका सेवन ना करें 

कॉफी : कॉफी में कैफीन व शुगर की अधिक मात्रा होने के कारण यह त्वचा पर कील-मुंहासों का कारण बनती है। कॉफी में मौजूद टैनिन त्वचा को शुष्क बनाती है।

एल्कोहल : एल्कोहल त्वचा की नमी को सोख त्वचा में ढीलापन लाता है। बहुत से कॉकटेल, डाइग्यूरस और मार्गरिटा में शुगर की बहुत अधिक मात्रा होती है, जो त्वचा को नुकसान पहुंचाती है।

सोडा : सोडा में मौजूद शुगर व अन्य सामग्री हमारे स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होती है। सोडे की अधिक मात्रा शरीर में पानी के स्तर को कम कर देती है। शरीर व बेहतर स्वास्थ्य के लिए जहां तक संभव हो, हमें सोडा पीने से तौबा करनी चाहिए।

उच्च रक्त चाप

उच्च रक्त चाप के लक्षण व उपचार 
रक्त चाप बढने से तेज सिर दर्द,थकावट,टांगों में दर्द ,उल्टी होने की शिकायत और चिडचिडापन होने के लक्छण मालूम पडते हैं। यह रोग जीवन शैली और खान-पान की आदतों से जुडा होने के कारण केवल दवाओं से इस रोग को समूल नष्ट करना संभव नहीं है। जीवन चर्या एवं खान-पान में अपेक्षित बदलाव कर इस रोग को पूरी तरह नियंत्रित किया सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर के मुख्य कारण--
१) मोटापा
२) तनाव(टेंशन)
३) महिलाओं में हार्मोन परिवर्तन
४) ज्यादा नमक उपयोग करना
अब यहां ऐसे सरल घरेलू उपचारों की चर्चा की जायेगी जिनके सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करने से बिना गोली केप्सुल लिये इस भयंकर बीमारी पर पूर्णत: नियंत्रण पाया जा सकता है-
१) सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि रोगी को नमक का प्रयोग बिल्कुल कम कर देना चाहिये। नमक ब्लड प्रेशर बढाने वाला प्रमुख कारक है।
२) उच्च रक्तचाप का एक प्रमुख कारण है रक्त का गाढा होना। रक्त गाढा होने से उसका प्रवाह धीमा हो जाता है। इससे धमनियों और शिराओं में दवाब बढ जाता है।लहसुन ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार घरेलू वस्तु है।यह रक्त का थक्का नहीं जमने देती है। धमनी की कठोरता में लाभदायक है। रक्त में ज्यादा कोलेस्ट्ररोल होने की स्थिति का समाधान करती है।
३)एक बडा चम्मच आंवला का रस और इतना ही शहद मिलाकर सुबह -शाम लेने से हाई ब्लड प्रेशर में लाभ होता है।
४) जब ब्लड प्रेशर बढा हुआ हो तो आधा गिलास मामूली गरम पानी में काली मिर्च पावडर एक चम्मच घोलकर २-२ घंटे के फ़ासले से पीते रहें। ब्लड प्रेशर सही मुकाम पर लाने का बढिया उपचार है।
५) तरबूज का मगज और पोस्त दाना दोनों बराबर मात्रा में लेकर पीसकर मिला लें। एक चम्मच सुबह-शाम खाली पेट पानी से लें।३-४ हफ़्ते तक या जरूरत मुताबिक लेते रहें।
६) बढे हुए ब्लड प्रेशर को जल्दी कंट्रोल करने के लिये आधा गिलास पानी में आधा निंबू निचोडकर २-२ घंटे के अंतर से पीते रहें। हितकारी उपचार है।
७) तुलसी की १० पती और नीम की ३ पत्ती पानी के साथ खाली पेट ७ दिवस तक लें।
८) पपीता आधा किलो रोज सुबह खाली पेट खावें। बाद में २ घंटे तक कुछ न खावें। एक माह तक प्रयोग से बहुत लाभ होगा।
९) नंगे पैर हरी घास पर १५-२० मिनिट चलें। रोजाना चलने से ब्लड प्रेशर नार्मल हो जाता है।
१०) सौंफ़,जीरा,शकर तीनों बराबर मात्रा में लेकर पावडर बनालें। एक गिलास पानी में एक चम्मच मिश्रण घोलकर सुबह-शाम पीते रहें।
११) उबले हुए आलू खाना रक्त चाप घटाने का श्रेष्ठ उपाय है।आलू में सोडियम(नमक) नही होता है।
पालक और गाजर का रस मिलाकर एक गिलास रस सुबह-शाम पीयें। अन्य सब्जीयों के रस भी लाभदायक होते हैं।
१३) नमक दिन भर में ३ ग्राम से ज्यादा न लें।
१४) अण्डा और मांस ब्लड प्रेशर बढाने वाली चीजें हैं। ब्लड प्रेशर रोगी के लिये वर्जित हैं।
१५) करेला और सहजन की फ़ली उच्च रक्त चाप-रोगी के लिये परम हितकारी हैं।
१६) केला,अमरूद,सेवफ़ल ब्लड प्रेशर रोग को दूर करने में सहायक कुदरती पदार्थ हैं।
१७) मिठाई और चाकलेट का सेवन बंद कर दें।
१८)सूखे मेवे :--जैसे बादाम काजू, आदि उच्च रक्त चाप रोगी के लिये लाभकारी पदार्थ हैं।
१९)चावल:-(भूरा) उपयोग में लावें। इसमें नमक ,कोलेस्टरोल,और चर्बी नाम मात्र की होती है। यह उच्च रक्त चाप रोगी के लिये बहुत ही लाभदायक भोजन है। इसमें पाये जाने वाले केल्शियम से नाडी मंडल की भी सुरक्षा हो जाती है।
२०)अदरक:-प्याज और लहसून की तरह अदरक भी काफी फायदेमंद होता है। बुरा कोलेस्ट्रोल धमनियों की दीवारों पर प्लेक यानी कि कैलसियम युक्त मैल पैदा करता है जिससे रक्त के प्रवाह में अवरोध खड़ा हो जाता है और नतीजा उच्च रक्तचाप के रूप में सामने आता है। अदरक में बहुत हीं ताकतवर एंटीओक्सीडेट्स होते हैं जो कि बुरे कोलेस्ट्रोल को नीचे लाने में काफी असरदार होते हैं। अदरक से आपके रक्तसंचार में भी सुधार होता है, धमनियों के आसपास की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है जिससे कि उच्च रक्तचाप नीचे आ जाता है।
२०)लालमिर्च:-धमनियों के सख्त होने के कारण या उनमे प्लेक जमा होने की वजह से रक्त वाहिकाएं और नसें संकरी हो जाती हैं जिससे कि रक्त प्रवाह में रुकावटें पैदा होती हैं। लेकिन लाल मिर्च से नसें और रक्त वाहिकाएं चौड़ी हो जाती हैं, फलस्वरूप रक्त प्रवाह सहज हो जाता है और रक्तचाप नीचे आ जाता है।

Low blood pressure

ब्लड प्रेशर कम( Low blood pressure)रहता हो तो निम्न उपचार हितकारी साबित हुए हैं---
किशमिश १० नग रात भर पानी में भिगोएँ । सुबह एक-एक किशमिश बहुत बारीक चबाकर खाएं। यह उपाय एक दो माह करें।
बादाम ७ नग रात भर पानी में भिगोएँ । छिलका निकालें।अच्छी तरह पीसकर २५० मिलि दूध के साथ उपयोग करें।
ब्लड प्रेशर ज्यादा गिरने पर चुटकी भर नमक पानी में घोलकर पीयें।
बोलना बंद करें। सो जाएं। बाईं करवट लेटें। नींद लेना लाभदायक होता है।